काउन्चा, एक ठेठ आदिवासी गांव है जो सिलवासा के दक्षिण में 40 किमी. की दूरी पर नदी दमनगंगा पर बने मधुवन बांध के तट पर स्थित है। यह हरी - भरी घाटियों, घने जंगलों और पश्चिमी घाट के शानदार पर्वतों की श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। इस गांव के वह लोग जो प्राचीन आदिवासी जनजाति से हैं वह प्रकृति के बेहद करीब होते है जैसे वरली और कुकनास, ये लोग प्रकृति को अपने जीवन का हिस्सा मानते है।
वे लोग हस्तनिर्मित झोपडि़यों में रहते है जो कि पेड़ों के बीच में ही बनाई जाती है। आप यहां आकर औरतों को डलिया पकड़े हुए देख सकते है वहीं पुरूष पशुओं को चराते हुए देखे जा सकते है। उनका मुख्य आधार कृषि है और वे अपना अधिकाश: समय आदिवासी कला बनाने में व्यतीत करते है। संगीत और नृत्य उनका विशेष शौक है।
वे बड़े पैमाने पर बांस का उपयोग करते है जैसे - धनुष, तीर को बनाने में। आदिवासी खुद से कागज की लुग्दी तैयार कर लेते है और पक्षियों व जानवरों की तरह कलात्मक वस्तुओं का निर्माण कर लेते हैं। उनकी कला, परंपरा और संस्कृति का दर्शाती है, वरली आदिवासी जनजाति की परंपरा फसल के मौसम में, उत्सव समारोह, शादी की पार्टी और जन्म के दौरान होने वाले रीति - रिवाजों को अच्छे से फॉलो करती है।
पर्यटक यहां आकर आदिवासी महिलाओं के द्वारा परंपरागत तरीके से तैयार किए गए स्थानीय भोजन का लुत्फ भी उठा सकते है।