उड़ीसा में बौद्ध परिसर ललितगिरि, रत्नागिरी, उदयगिरी और धौलगिरि की पहाड़ियों पर स्थित हैं। इनमें से 14 किमी दूर उदयगिरी से स्थित धौलगिरि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। धौलगिरि वह स्थान माना जाता है, जहां प्रसिद्ध कलिंग युद्ध लड़ा गया था और जहां सम्राट अशोक नें वर्चस्व की लड़ाई छोड़कर, जीवन के सत्य की खोज के लिए बौद्ध धर्म को अपनाया था।
इस जगह की खुदाई में प्राप्त कई शिलालेख, रॉक शिलालेख, स्तूप और बुद्ध की मूर्तियो, अशोक के बौद्ध धर्म की ओर गहरे झुकाव का परिचय देती हैं। यहां की खुदाई में कई चैत्य व स्तम्भ भी प्राप्त हुए हैं। 1970 में पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया “शांति स्तूप” नामक एक सफेद शिवालय, अब हर साल बड़ी संख्या में आने वाले बौद्ध तीर्थयात्रियों का निवास है।
स्तूप के अंदर कई बुद्ध प्रतिमाओं को बनाया गया, जो कि वास्तव में देखने लायक है। एक शिव मंदिर भी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, जहां शिवरात्रि बड़े आनन्द व उल्लास के साथ मनाई जाती है।