राणा महल घाट के नाम से ही स्पष्ट है कि इसे किसी राजपूत द्वारा बनवाया गया होगा। वास्तव में इस घाट को एक राजपूत सरदार द्वारा 1670 में बनवाया गया था, जो उदयपुर का महाराणा था। यह घाट, दरभंगा घाट और चौसेती घाट के बीच में स्थित है और इसके दक्षिणी किनारे पर दशाश्वमेध घाट स्थित है।
इस घाट पर एक भव्य सा दिखने वाला महल भी है जहां राजूपत शैली की वास्तुकला का प्रदर्शन किया जाता है। यह महल समय के साथ - साथ जर्जर होता गया लेकिन उदयपुर के राणा जगतसिंह ने इसका पुर्ननिर्माण करवा दिया था। यह घाट, महल के नीचे उतरने पर स्थित है।
इस घाट का सबसे प्रमुख आकर्षण इसके शीर्ष पर निर्मित मंदिर है। यह घाट, वाराणसी के पुनरोद्धार प्रोजेक्ट का हिस्सा था और पुनर्निर्मित किए जाने वाले घाटों की लिस्ट में शामिल था। इन घाटों के पुननिर्माण को क्षेत्रीय पर्यटन विभाग की ओर से शुरू किया गया था, जो 2008 से 2009 तक चला था। बच्चे और वयस्क इस घाट पर गर्मियों के दिनों में तैराकी सीखने आते है। इस घाट में कहानी है कि यहां रात में भूत सैर करने आते है।