अगर पर्यटकों के पास समय हो तो उन्हें कल्लू बसादी या डोड्डा बसादी को भी देखना चाहिये। इस बसादी को पथरीले चट्टानों का उपयोग करके बनाया गया है इसलिये इसे कल्लू बसादी कहते हैं। एक आलीशान आँगन होने के कारण इस जगह को डोड्डा बसादी (बड़ी बसादी) भी कहते हैं। कल्लू बसादी...
वेनूर गाँव कीयात्रा पर आये पर्यटकों को 1604 ई0 में जैन शासक राजा थिम्मन्ना अलिजा द्वारा निर्मित गोमतेश्वर प्रतिमा को देखने अवश्य आना चाहिये। इस पत्थर से बनी प्रतिमा का मूर्तिकार अमरशिल्पी जाकनचारी माना जाता है। एक पत्थर से बनी भगवान गोमतेश्वर की यह मूर्ति फाल्गुनी...
वेनूर गाँव की यात्रा पर आये पर्यटकों को पार्श्वनाथ स्वामी बसादी को देखने की सलाह दी जाती है जो पूर्वी तरफ स्थित है। इस बसादी का प्रमुख आकर्षण पार्श्वनाथ स्वामी की चमकती हुई काँस्य प्रतिमा है। पार्श्वनाथ स्वामी बसादी भगवान गोमतेश्वर की एक प्रस्तर प्रतिमा के पीछे की...
अगर समय हो तो पर्यटकों को वर्धमान स्वामी बसादी भी देखने की सलाह दी जाती है जिसमें कि इष्टदेव भगवान वर्धामन महावीर की प्रतिमा स्थापित है।
अगर समय हो तो पर्यटकों को बिन्नानी बसादी भी देखना चाहिये। यह 16वें तीर्थांकर शान्तिनाथ की काँस्य प्रतिमा के लिये जाना जाता है। बिन्नानी बसादी, जिसे बाला बसादी भी कहा जाता है, को अक्कंगला बसादी के सामने तिम्माराजा की सबसे छोटी रानी बिन्नानी देवी द्वारा बनवाया गया...
अगर समय हो तो पर्यटकों को अक्कंगला बसादी भी देखना चाहिये जोकि बाहुबली प्रतिमा के पश्चिमी ओर है। अक्कंगला बसादी, जिसे एड़ा बसादी भी कहते हैं, को सन् 1604 ई0 में राजा थिम्मन्ना अजिला की दो रानियों मल्ली देवी और पण्डयक्का देवी द्वारा बनवाया गया था। रानियों ने...
वेनूर की यात्रा पर आयो पर्यटकों को कल्लू बसादी (डोड्डा बसादी) के बायीं ओर स्थित आदिनाथ बसादी को भी देखने की सलाह दी जाती है। इस बसादी का मुख्य आकर्षण यहाँ के इष्टदेव भगवान आदिनाथ की पद्मासन मुद्रा की मूर्ति है।