इस संग्रहालय का निर्माण 1908 में राजा भूरी ने करवाया था जिसे चंबा के राजा के सम्मान में बनवाया गया था। राजा ने संग्रहालय में अपने परिवार के कई निजी चित्रों को लगवाया था। इस संग्रहालय में शारदा लिपि के कई ऐतिहासिक शिलालेख रखे गए है जिनमें उस काल के इतिहास के बारे में काफी विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। संग्रहालय में चंबा शासकों के काल की कई कृतियां देखने को मिलती हैं जिन्हे देखकर उस काल के लोगों का कला और सस्ंकृति के प्रति रूझान का पता चलता है।
गुलेर-कांगड़ा शैली के चित्रों का सुंदर कलेक्शन यहां के संग्रहालय में रखा गया है। पर्यटक यहां जाकर बसोली पेंटिग्स को देख सकते है जिनमें भागवत पुराण और रामायण का वर्णन चित्रों के माध्यम से किया गया है।
इस संग्रहालय के पास में चंबा - रूमाल या रूमाल जैसे मुख्य आकर्षण भी शामिल हैं जिन्हे यहां के स्थनीय लोगों द्वारा बनाया जाता है। यहां आकर पर्यटक पुराने जमाने के हथियार, सिक्के, पहाड़ी आभूषण और वेशभूषा, विभिन्न सजावटी सामान को संग्रहालय में देख सकते हैं। संग्रहालय अवकाश के दिन बंद रहता है। वैसे प्रतिदिन सुबह 10 से शाम 5 तक यहां भ्रमण करने आया जा सकता है।