तीमंगढ़ किला , मसलपुर उप तहसील के अन्दर आने वाले करौली के पास ही स्थित है। इतिहासकारों का मानना है की यहाँ निर्मित ये किला 1100 ई में बनवाया गया था जो जल्द ही नष्ट कर दिया गया। इस किले को 1244ई में यदुवंशी राजा तीमंपल जो राजा विजय पाल के वंशज थे द्वारा दोबारा बनवाया गया था।
लोगों का मानना है की आज भी इस किले में अष्ठधातु की प्राचीन मूर्तियां, मिट्टी की विशाल और छोटी मूर्तियों को इस किले के मंदिर के नीचे छुपाया गया है। यहाँ बने मंदिरों की छतों और स्तंभों पर सुंदर ज्यामितीय और फूल के नमूने किसी भी पर्यटक का मन मोहने के लिए काफी हैं साथ ही यहाँ आने वाले पर्यटक मंदिर के स्तंभों पर अलग अलग देवी देवताओं की तस्वीरों को भी बनाया गया है जो प्राचीन कला का एक बेमिसाल नमूना है।
कई रिकॉर्ड साइट से खोज की पुष्टि करते हैं कि किला 1196 और 1244 ई. के लोगों के बीच मुहम्मद घोरी बलों द्वारा कब्जा किया गया था का मानना है कि वहाँ एक सागर झील के तल पर पत्थर पारस, किले के पक्ष में मौजूद है। इस साइट से प्राप्त कई रिकॉर्ड इस बात की पुष्टि करते हैं कि 1196 से 1244 के बीच इस किले पर मुहम्मद गौरी ने कब्ज़ा कर रखा था। लोगों का मानना है की आज भी किले के पास स्थित सागर झील में पारस पत्थर है जिसके स्पर्श से कोई भी चीज सोने की हो सकती है।