मरियम जमानी अजमेर के राजा भारमल कछवाहा की बेटी थी। उनकी शादी मुगल बादशाह अकबर से हुई थी। लंबे इंतजार के बाद जब उन्होंने अकबर के बेटे सलीम को जन्म दिया, तो अकबर ने उन्हें मरियम जमानी का खिताब दिया, जिसका अर्थ होता है-विश्व के लिए दयालु। बाद में यही सलीम जहांगीर के नाम से जाना गया।
मरियम जमानी का निधन 1623 में आगरा में हुआ और उसके बेटे जहांगीर ने उनके लिए एक समाधि का निर्माण करवाया। यह सिकंदरा स्थित उनके पिता अकबर की समाधि के पास ही स्थित है। इस समाधि का निर्माण 1623 से 1627 के बीच चार साल में पूरा हुआ।
यह वर्गाकार समाधि एक बाग में स्थित है और इसके मध्य में दो गलियारे हैं। इस मकबरे की छत मेहराबदार है और इसका निर्माण एक बड़े से वृतखंड पर किया गया है, जो एक बड़े से खंभे पर टिका हुआ है। इसका निर्माण ईट और संगमरमर के चूने से किया गया है। इसके चारों कोणो पर मौजूद चार बड़ी-बड़ी छतरियां इसकी शोभा और बढ़ा देती है। मुगल वास्तुशिल्प शैली में बना यह मकबरा ‘बिना गुंबद के मकबरा’ का एक बेहतरीन नमूना है।