गुजरात-राजस्थान की सीमा पर स्थित अम्बाजी गाँव से 4 किमी की दूरी पर स्थित गब्बर पहाड़ियों को अम्बाजी माता का मूल स्थान माना जाता है। तन्त्र चूड़ामणि के एक उल्लेख के अनुसार देवी सती के हृदय का एक भाग इस पर्वत के ऊपर गिरा था। मन्दिर तक पहुँचने के लिये पहाड़ी पर 999...
मंगलया वन कैलाश टेकरी नामक पहाड़ी पर अम्बाजी मन्दिर एक किमी से अधिक की दूरी पर खेदब्रह्मा राजमार्ग पर स्थित है। यह वन एक अनोखा बगीचा है जो अपने ज्योतिषीय बगीचे के लिये जाना जाता है जहाँ पर प्रत्येक राशि के लिये तीन पौधे हैं। ज्योतिषाचार्यों की मान्यता है कि इन...
अम्बाजी से एक किमी की दूरी पर खेदब्रह्मा राजमार्ग पर कामाक्षी देवी परिसर में कामाक्षी मन्दिर स्थित है। सभी 51 शक्तिपीठों तथा दैवीय शक्ति के केन्द्रों के स्वरूपों को इस परिसर में पुनर्निर्मित किया गया है जिससे कि यहाँ आने वाले यात्रियों तथा पर्यटकों को महान शक्ति...
बलराम अम्बाजी वन्यजीव अभ्यारण्य गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित है। क्षेत्र के विपरीत सिरों पर स्थित बलराम और अम्बाजी मन्दिरों के कारण ही अभ्यारण्य का यह नाम पड़ा। इस अभ्यारण्य को गुजरात सरकार द्वारा वन्यजीवों और उनके वातावरण के उत्थान तथा विकास के लिये 7 अगस्त...
कोटेश्वर मन्दिर अम्बाजी से 8 किमी की दूरी पर स्थित है। सरस्वती नदी के समीप स्थित होने के कारण इस मन्दिर का ऐतिहासिक महत्व है। वाल्मीकि आश्रम और शक्ति आश्रम इस स्थान के दो खास आकर्षण हैं।
मानसरोवर अम्बाजी मन्दिर के पीछे स्थित एक चौकोर तालाब है। यह 1584 ई0 से 1594ई0 के बीच अम्बाजी माता के अनन्य भक्त श्री तपीशंकर द्वारा बनवाया गया था। तालाब के चारों ओर सीढियाँ है और दो तरफ मन्दिर बने हैं। भक्त और पर्यटक इस स्थान पर आकर पवित्र तालाब में स्नान करते...