मोती मस्जिद, भोपाल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण वास्तुकला का मील का पत्थर है और सबसे ज्यादा यह भारत की मुस्लिम महिलाओं के इतिहास में महत्वपूर्ण है। इस मस्जिद के निर्माण का आदेश महिला मुस्लिम शासक सिंकदर बेगम ने 1860 में दिया था। वह काफी पढ़ी - लिखी महिला थी जो उस जमाने के हिसाब से आधुनिक थी। उनकी चेतना का स्तर काफी ऊंचा था।
निर्माण और वास्तुकला की दृष्टि से मोती मस्जिद, दिल्ली की जामा मस्जिद से काफी मिलती जुलती है लेकिन आकार में तीन गुना छोटी है। छोटे आकर के होने के बावजूद, मोती मस्जिद में हर साल हजारों पर्यटक भ्रमण के लिए आते है क्योंकि इसकी वास्तुकला बेहद सुंदर और खास है।
इस मस्जिद के गहरे लाल टॉवर और गोल्डन भालेनुमा संरचना एक लुभावनी दृष्टि प्रदान करते है। मस्जिद, मुख्य रूप से सफेद रंग की है जिसका निर्माण पूरी तरह से संगमरमर से किया गया है। यह जगह देखने में स्वर्ग समान लगती है। इसीकारण इस मस्जिद को मोती मस्जिद के नाम से जाना जाता है।