पट्टीश्वरम, कुंभकोणम से 8 किमी दूर एक विलक्षण परंतु अनजान गाँव है। इस गाँव का नाम हिंदुओं में पूजी जानी वाली गाय, कामधेनु के बछड़े पट्टी के नाम पर पड़ा है। पुराणों के अनुसार कामधेनु का बछड़ा पट्टी इस स्थान पर भगवान् शिव की पूजा किया करते थे और यही कारण है कि इस स्थान का नाम पट्टीश्वरम पड़ा।
यह गाँव देवी दुर्गा के मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है। मंदिर की वास्तुकला में पल्लव, चोल और नायक शैली देखने को मिलती है जो इस बात का प्रमाण है कि समयानुसार इस मंदिर का बार बार पुनर्निर्माण किया गया। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम भी पट्टीश्वरम आये थे और उन्होंने यहाँ तीन शिवलिंगों की स्थापना की थी।
रावण का वध करने के बाद स्वयं को पाप से मुक्त करने के लिए भगवान राम ने यहाँ शिवलिंगों की स्थापना की। ऐसा माना जाता है कि उनके द्वारा स्थापित शिवलिंगों का अभिषेक करने के लिए उन्होंने यहाँ एक कुआँ भी बनाया था। ऐसा विश्वास है कि धनुषकोडी का पानी सीधे यहाँ आता है। पट्टीश्वरम, दरासुरम से 3 किमी दूर, दरासुरम-वलंगीमन रोड पर स्थित है। कुंभकोणम और दरासुरम दोनों ही स्थानों से यहाँ आसानी से पहुंचा जा सकता है।