पापनाशम का शाब्दिक अर्थ है ‘पापों का नाश’। यह एक क़स्बा है जो थंजावूर जिले में दरासुरम से 10 किमी दूर स्थित है। यह क़स्बा थंजावूर के जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर और कुंभकोणम से 15 किमी दूर है। पापनाशम यहाँ स्थित पल्लईवंथ स्वामी मंदिर के लिए बहुत प्रसिद्ध...
ऐसा माना जाता है कि पज्हयराई चोल राजवंश की तत्कालीन राजधानी था। यहाँ चोल काल के कुछ प्राचीन मंदिर देखने को मिलते हैं। इनमें सबसे प्रमुख है पज्हयराई मंदिर या जिसे पज्हयराई वदथली के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कुंभकोणम से 6 किमी दूर है।
दरासुरम से यह...
ऐरावतेश्वर मंदिर दरासुरम का एक मुख्य आकर्षण है और भक्त यहाँ वर्ष भर आते हैं। पुराणों के अनुसार देवताओं के राजा इंद्र के सफ़ेद हाथी ऐरावत ने यहाँ भगवान शिव की पूजा की थी। दुर्वासा ऋषि द्वारा दिए गए श्राप से मुक्त होने के लिए ऐरावत ने भगवान शिव की आराधना की।
...तिरुनल्लुर, दरासुरम के बाहरी इलाके में स्थित एक गाँव है। यह दरासुरम से 8 किमी दूर थंजावूर जिले की ओरथंदु तालुका में स्थित है। यह गाँव कल्याणसुंदरेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान शिव की कल्याणसुंदरेश्वर के रूप में पूजा की जाती है।
ऐसा माना...
पट्टीश्वरम, कुंभकोणम से 8 किमी दूर एक विलक्षण परंतु अनजान गाँव है। इस गाँव का नाम हिंदुओं में पूजी जानी वाली गाय, कामधेनु के बछड़े पट्टी के नाम पर पड़ा है। पुराणों के अनुसार कामधेनु का बछड़ा पट्टी इस स्थान पर भगवान् शिव की पूजा किया करते थे और यही कारण है कि इस स्थान...