यदि समय मिलें तो पर्यटकों को पहाड़ी की तलहटी में स्थित नमदा चिलुमे(चिलुमे अर्थात् चश्मा) देखने का सुझाव दिया जाता है। नमदा चिलुमे को जयमंगली नदी का उत्पत्ति स्थान माना जाता है। प्रसिद्ध लोककथाओं के अनुसार भगवान राम लंका जाते समय यहाँ पर रुके थे। भगवान राम को ’नाम’ (हिंदुओं द्वारा माथे पर लगाया जाने वाला पेस्ट) बनाने के लिए पानी की ज़रूरत पड़ी।
जब उन्हें पानी नहीं मिला तो उन्होंने भूमि पर एक बाण मारा जिसके फलस्वरूप् एक चश्मा फूट पड़ा। इसलिए इस जगह का नाम नमदा चिलुमे रखा गया जिसका अर्थ है राम का चश्मा। इस चश्मे के पास पर्यटक भगवान राम के पदचिन्ह भी देख सकते हैं। नमदा चिलुमे के सामने एक पुराना गेस्ट हाउस है जो 1931 में बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि प्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक डा. सलीम अली 1938 में अपने रिसर्च कार्य के दौरान इस गेस्ट हाउस में रहे थे।