किला मुबारक का निर्माण मूल रूप से राजा मोकालसी ने किया था और बाद में राजा हमीर सिंह ने इसका पुन:निर्माण किया। राजा बिक्रम सिंह और राजा बलबीर सिंह ने इसे और विस्तृत किया। इस प्राचीन स्मारक के परिसर में राजसी महल, तोष खाना, मोदी खाना और कोषागार है। ...
गुरुद्वारा गुरु की ढाब एक प्रभावशाली स्मारक है जो गुरुद्वारा पटशाही दसवीं और डोडा ताल के नाम से भी जाना जाता है। यह गुरुद्वारा कोटकपुरा से लगभग 12 किमी. की दूरी पर कोटकपुरा – जैतु रोड़ पर गुरु की ढाब नामक छोटे से गाँव में स्थित है। एक लोककथा के...
कोटकपुरा का नाम इसके संस्थापक नवाब कपूरा सिंह के नाम पर पड़ा। इसे सफेद सोने के शहर के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहाँ कॉटन (कपास) का बहुत बड़ा बाज़ार है जो विश्व के सर्वोत्तम बाज़ारों में से एक है। यहाँ का सबसे अधिक भीड़ भाड़ वाला बाज़ार शास्त्री बाज़ार या...
राजस्थान और सिरहिंद नहर फरीदकोट के पास स्थित बड़ी परिपूरक प्रणाली है। इन नहरों का निर्माण ब्यास और सतलुज नदियों के पानी को पंजाब की सूखी ज़मीन तक लाने के लिए किया गया। सिरहिंद सिन्धु नदी प्रणाली की सबसे बड़ी और पुरानी नहर है। ऐसा माना जाता है कि यह...
गुरुद्वारा टिल्ला बाबा फरीद एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो किला मुबारक के पास स्थित है। ऐसा माना जाता है कि पाकपत्तन जाने से पहले सूफी संत बाबा फरीद ने यहाँ 40 वर्ष तक तपस्या की थी। लकड़ी का एक टुकड़ा जिसका उपयोग बाबा फरीद अपने हाथ साफ़ करने के लिए करते...
दरबार गंज एक विरासत इमारत है जिसका उपयोग पहले राजसी परिवार अतिथि गृह के रूप में करता था। वर्तमान में यह सर्किट हाउस और फरीदकोट डिवीजन के कमिश्नर का कार्यालय है। इस उल्लेखनीय हवेली का आंतरिक भाग सुंदर है और यह भव्य उद्यानों से घिरी हुई है जो प्रतिवर्ष...
फेयरी कॉटेज एक शताब्दी पुराना है और चहल रोड़ पर स्थित है जो फरीदकोट से लगभग 7 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस कॉटेज का निर्माण महाराजा ब्रिजंदर सिंह ने 1910 और 1911 के बीच किया था। प्रवेश द्वार पर लगा हुआ चेक टॉवर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता...
गुरुद्वारा गोदावरिसर, कोटकपुरा – बठिंडा रोड़ पर धिल्वन कलां गाँव में स्थित है। ऐसा विश्वास है कि सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने तलवंडी साबो जाते हुए इस स्थान की सैर की थी। स्थानीय लोगों का ऐसा विश्वास है कि गुरु ने इस गाँव में एक...
गुरुद्वारा गोदावरिसर, कोटकपुरा – बठिंडा रोड़ पर धिल्वन कलां गाँव में स्थित है। ऐसा विश्वास है कि सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने तलवंडी साबो जाते हुए इस स्थान की सैर की थी। स्थानीय लोगों का ऐसा विश्वास है कि गुरु ने इस गाँव में एक...
राज महल फरीदकोट के हृदयस्थल में स्थित है जिसकी स्थापना महाराजा बिक्रम सिंह के शासन काल में हुई थी और जिसका निर्माण बलबीर सिंह के निरीक्षण में हुआ था। यह सुंदर इमारत नुकीले शिखरों और दर्पणों के उत्कृष्ट डिज़ाइन को प्रदर्शित करती है जो फ्रेंच वास्तुकला से...