मुन्जावत तीर्थ, निर्जन गाँव में स्थित है जो जींद से छह किमी दूर स्थित है। वामन पुराण के अनुसार, यह पवित्र स्थल देवताओं के स्वामी भगवान् शिव से संबंधित है। भगवान् शिव को कई नामों से जाना जाता है जिसमें से एक नाम मृत्युंजय या ‘मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला’ है। इसलिए इन्हें महाकाल भी कहा जाता है।
इनके माथे पर तीसरी आँख है। इनका दाहिना हाथ डराने वाले भाव में है और इनके बाएं हाथ में एक त्रिशूल है जिस पर डमरू बंधा हुआ है। वे चीते की खाल पहनते हैं और चीते की खाल पर ही बैठते हैं। उनके पास पवित्र पानी से भरा हुआ एक कमंडल भी है।
इसलिए ऐसा अगाध विश्वास है कि मुन्जावत मंदिर में उपवास और प्रार्थना करने पर भगवान् की कृपा और अनंत शांति प्राप्त होती है। मुन्जावत में एक रात का उपवास करने पर गणपतय प्राप्त करने में सहायता मिलती है जिसे भगवान् गणेश के निवास के रूप में जाना जाता है।