सिरसा जिले का नाम, इसके मुख्यायल सिरसा के नाम से उत्पन्न हुआ है। ऐसा माना जाता है कि सिरसा जिला, उत्तर भारत के सबसे पुराने जिलों में से एक है। सिरसा का जिक्र, महाभारत में भी हुआ है, हालांकि उस काल में इसे साईरिषाका के नाम से जाना जाता था। इस स्थल का उल्लेख, पाणिनी के अष्टाधायी और दिव्यावदन में भी मिलता है। महाभारत में, यह भी उल्लेख किया गया है कि साईरिषाका को पश्चिमी तिमाही के विजय अभियान में नकुल द्वारा लिया गया था। पाणिनी ने उल्लेख किया है कि सिरसा 5 वीं सदी का एक समृद्ध शहर था।
इतिहास
सिरसा, भारत के हरियाणा राज्य में स्थित एक शहर है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर स्थित है। 1819 में, इस क्षेत्र को ब्रिटिश शासन ने अपने अधीन कर लिया था और बाद में इसे दिल्ली क्षेत्र के उत्तरी - पश्चिमी जिले का एक हिस्सा बना दिया था। एक साल बाद, उत्तर - पश्चिमी जिले को दो हिस्सों में बांट दिया गया जिन्हे उत्तरी और पश्चिमी जिलों के नाम से जाना गया और सिरसा, पश्चिमी जिले का हिस्सा बन गया जिसे बाद में हरियाणा नाम दिया गया।
सिरसा और उसके आसपास स्थित पर्यटक स्थल
सिरसा जिले में पर्यटकों की सैर के काफी स्थल है। सिरसा, डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय है, यह एक प्रकार का धार्मिक समूह है जिसकी स्थापना शाह मस्ताना ने की थी, जिनका वास्तविक नाम खेमामल था। यह सेक्टर, अपनी सामाजिक सेवा गतिविधियों के कारण जाना जाता है और यहां सभी को मुफ्त में लंगर भी छकाया जाता है, साथ ही जनता से किसी भी प्रकार का दान भी नहीं स्वीकार किया जाता है। यहां का अन्य लोकप्रिय धार्मिक संप्रदाय, राधा स्वामी संप्रदाय है जो यहीं स्थित है।
सिरसा शहर से 5 किमी. दूर पूवर् की ओर राधा स्वामी सत्संग घर स्थित है। सेक्ट, पंजाब में स्थित अमृतसर के ब्यास में स्थित राधा स्वामी मुख्यालय की एक शाखा है।
पर्यटक जब भी सिरसा जाएं तो वहां कगदाना में स्थित राम देव मंदिर में भी अवश्य जाएं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि यह मंदिर बाबा राम देवजी को समर्पित है जिन्हे भारत के कई राज्यों, विशेषकर राजस्थान में और पाकिस्तान के सिंध में देवता के रूप में पूजा जाता है।
बाबारामदेव, गरीबों और पिछड़े वर्ग की मदद करने के लिए जाने जाते थे और उनके बारे में व उनकी चमत्कारी शक्तियों के बारे में कई कहानियां भी प्रचलित है। इसके अलावा, यहां आकर रामनगरिया में हनुमान मंदिर और चोरमार खेरा में गुरूद्वारा गुरू गोविंद सिंह की यात्रा भी अवश्य करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सिक्ख गुरू अपनी रात यहीं बिताते है। यहां डेरा बाबा सारसाई नाथ मंदिर है, जिसे 13 वीं सदी में यहां बनवाया गया था, इस मंदिर को सिरसा में हिसार द्वार के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का निर्माण सारसाई नाथ ने करवाया था, जो एक प्रमुख गुरू या ऋषि थे, जिन्होने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर यहां प्रार्थना, ध्यान और कई धार्मिक अनुष्ठान भी किए।
सिरसा और उसके आसपास के क्षेत्रों में घग्गर घाटी की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक की अमूल्य विरासत यहां एक स्वर्ग समान है। यहां आकर पर्यटक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के उत्खनन स्थलों की यात्रा भी कर सकते है।
सिरसा का मौसम
सिरसा में उप उष्ण कटिबंधीय जलवायु रहती है, जहां गर्मी, बरसात और सर्दी तीनों मौसम का आनंद उठाया जा सकता है।
सिरसा तक कैसे पहुंचे
सिरसा, पूरे देश से वायु, रेल और सड़क मार्ग से भली - भांति तरीके से जुड़ा हुआ है।