Search
  • Follow NativePlanet
Share
होम » स्थल» कबीरधाम

कबीरधाम - प्रकृति और पुरातत्व का शहर

30

कबीरधाम पहले कवर्धा जिले के रूप में जाना जाता था और यह दुर्ग, राजनंदगांव, रायपुर और बिलासपुर के मध्य स्थित है। यह 4447.5 कि.मी² के क्षेत्रफल में फैला है। कबीरधाम एक शांत और निर्मल स्थान है जिसे प्रकृति प्रेमी बहुत पसंद करते हैं। इसके चारों ओर फैला जंगल, पहाड़ और धार्मिक मूर्तियां परिवेश को सुरम्य बनाते हैं।

कबीरधाम का पश्चिमी और उत्तरी भाग सतपुड़ा की माईकल पर्वत श्रृंखलाओं से परिबंधित है। यह साकारी नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। जो इस स्थान की सुंदरता को बढ़ाती है। पहाड़ और जंगल स्थान को और आकर्षक बनाते हैं। दूर तक फैली हरियाली आंखों को सुकून देती है।

इस स्थान का नाम कबीर साहिब के आगमन पर रखा गया है। उनके शिष्य, धर्मदास को भी कबीरधाम में ही गुरु गद्दी मिली। यह स्थान 1806 से 1903 तक कबीर पंथ का गुरु गद्दी पीठ बना रहा। कवर्धा की स्थापना 1751 में महाबली सिंह ने की। 2003 में, इसका नाम बदलकर कबीरधाम रखा गया। यह ब्रिटिश शासन के अधीन एक रियासत थी तथा बिलासपुर का हिस्सा भी था।

यहां रहने वाले ज्यादातर लोग अगरिया भाषा बोलते हैं, खास कर वे जो माईकल पर्वतीय क्षेत्र के रहने वाले हैं। हाफ और फोक कबीरधाम में बहने वाली अन्य नदियां हैं। माईकल पर्वत श्रृंखला की केस्मरड़ा सबसे ऊंची चोटी है। कबीरधाम आगामी हवाई पट्टी के प्रमुख स्थानों में से एक है।

कबीरधाम और उसके आस पास के पर्यटक स्थल

कबीरधाम भोरामदेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर की उत्तम वास्तुकला के कारण यह खजुराहो के मंदिर जैसी दिखता है। यह इसलिए "छत्तीसगढ़ के खजुराहो" के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से 18 कि.मी दूर है। मंदिर ऐतिहासिक और पुरातात्विक दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

इसने कई विभिन्न शासकों का शासन देखा है। यह स्थान 9 से 14 वीं सदी तक नागवंशी राजाओं की राजधानी रहा। बाद में, यह हयाहेवंशी राजाओं के अधीन हो गया। प्राचीन किलों के अवशेष जो इन शासकों के शासनकाल दौरान बनाए गए थे आज भी यहां मौजूद हैं।

चौरा और छपरी कबीरधाम के कुछ अन्य दिलचस्प स्थान हैं। मण्ड़वा महल कबीरधाम की एक अन्य उत्कृष्ट ऐतिहासिक स्मारक है। यह भोरामदेव मंदिर से 1 कि.मी दूर है। यह नागवंशी राजा और हाईहावंशी रानी के शादी के स्थान के रुप में प्रसिद्ध है।

स्थानीय भाषा में "मण्ड़वा" का मतलब है शादी का पंड़ाल। वैसे तो यह एक शिव मंदिर था, लेकिन इसका आकार एक शादी के शामियाने की तरह होने के कारण यह मण्ड़वा महल के नाम से जाना जाने लगा। इस मंदिर का दूसरा नाम दुल्हादेव है। इसे 1349 ई. में फ़ानी नागवंश, के 25 वे राजा, रामचंद्र देव ने बनवाया था।

कबीरधाम के कुछ अन्य आकर्षण चरकी महल, पचराही और जैन बूढ़ा महादेव हैं।

कबीरधाम की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय

शीलवंत जलवायु के कारण कबीरधाम में साल के किसी भी मौसम में आया जा सकता है।

कैसे पहुंचे कबीरधाम

कबीरधाम सड़क मार्ग द्वारा बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

कबीरधाम इसलिए है प्रसिद्ध

कबीरधाम मौसम

घूमने का सही मौसम कबीरधाम

  • Jan
  • Feb
  • Mar
  • Apr
  • May
  • Jun
  • July
  • Aug
  • Sep
  • Oct
  • Nov
  • Dec

कैसे पहुंचें कबीरधाम

  • सड़क मार्ग
    कबीरधाम से निकटतम शहरों के लिए बसों की सेवा उपलब्ध है। सड़क मार्ग द्वारा रायपुर 116 कि.मी, राजनंदगांव 133 कि.मी और जबलपुर 220 कि.मी की दूरी पर स्थित हैं। कवर्धा से निजी टैक्सियों द्वारा पर्यटक भोरामदेव मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
    दिशा खोजें
  • ट्रेन द्वारा
    इस शहर के लिए रायपुर रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है जो मुंबई-हावड़ा मुख्य रेल लाइन पर स्थित है।
    दिशा खोजें
  • एयर द्वारा
    इस शहरे का निकटतम हवाई अड्ड़ा रायपुर का स्वामी विवेकानंद हवाई अड्ड़ा है।
    दिशा खोजें
One Way
Return
From (Departure City)
To (Destination City)
Depart On
20 Apr,Sat
Return On
21 Apr,Sun
Travellers
1 Traveller(s)

Add Passenger

  • Adults(12+ YEARS)
    1
  • Childrens(2-12 YEARS)
    0
  • Infants(0-2 YEARS)
    0
Cabin Class
Economy

Choose a class

  • Economy
  • Business Class
  • Premium Economy
Check In
20 Apr,Sat
Check Out
21 Apr,Sun
Guests and Rooms
1 Person, 1 Room
Room 1
  • Guests
    2
Pickup Location
Drop Location
Depart On
20 Apr,Sat
Return On
21 Apr,Sun