सेंट्रल रिसर्च इंस्टीट्यूट या सीआराई की स्थापना 1905 में कसौली में ब्रिटिश काल में हुई। इस स्थान पर साल भर पर्यटकों की बहुत भीड़ होती है जो इसके परिसर के सुंदर मैदान को देखने आते हैं। सीआरआई अनुसंधान और विकास की कुछ गतिविधियों में लगा हुआ है और इसने विभिन्न बीमारियों जैसे कॉलरा, टायफाइड, स्माल पॉक्स और साँप के काटने आदि के लिये कई वैक्सीन (टीके) खोजे हैं। सर डेविड सेम्पल इस संस्थान के पहले निदेशक थे और उनके तहत ही इस संस्थान ने प्रतिरक्षा विज्ञान और वायरोलॉजी रिसर्च के क्षेत्र में कार्य किया। यह संस्थान रेबीज और सर्पदंश के लिए टीके के विकास के लिए जिम्मेदार है।
यह संस्थान चिकित्सा अनुसंधान और विकास के अलावा भी शैक्षणिक पाठ्यक्रमों से चलाता है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रशासित यह संस्थान स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रदान करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सी आर आई चिकित्सा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए जाना जाता है। वर्तमान में यह संगठन विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्ल्यू एच ओ के सहयोग से पोलियो, खसरा और डीटीपी जैसे रोगों के लिए टीके बनाने का काम कर रहा है।