भुंतर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है। समुद्र सतह से लगभग 2050 मीटर की ऊँचाई पर स्थित भुंतर राज्य के प्रमुख गंतव्यों में से एक है। इसके अलावा इसे कुल्लू घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में भी जाना जाता है और इस शहर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व भी है।
भुंतर का इतिहास ईसाई धर्म की पवित्र किताब बाइबल के नोह के समान है। पौराणिक कथा के अनुसार मनु जिन्हें सभ्यताका संस्थापक माना जाता है, ने हिंदू देवी–देवताओं के लिए भुंतर में एक लोकतांत्रिक परिषदकी स्थापना की थी। ये देवता समाज में रहने वाले लोगों के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार थे।
यह स्थान अनेक हिंदू धार्मिक केन्द्रों जैसे बशेश्वर महादेव मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, आदि ब्रम्ह मंदिर और और बिजली महादेव मंदिर के लिये जाना जाता है। यहाँ का एक अन्य प्रसिद्द मंदिर त्रियुग नारायण मंदिर है जो संरक्षण के हिंदू देवता विष्णु को समर्पित है। 800 ई. में निर्मित यह एक प्राचीन मंदिर है जो भुंतर से लगभग 12 किमी. की दूरी पर स्थित है।
दर्शनीय स्थलों की सैर के अलावापर्यटक यहाँ कई साहसिक गतिविधियाँ जैसे लंबी पैदल यात्रा, रॉक क्लाइम्बिंग और कायाकिंगकर सकते हैं। इस स्थान का एक अन्य आकर्षण वार्षिक भुंतर मेला है जो उत्तर भारत का लोकप्रिय मेला है। 3 दिन का यह मेला हर सालजून या जुलाईके महीनेमेंआयोजित किया जाता है।
भुंतर तक इसके हवाई अड्डे द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है जो भुंतर हवाई अड्डे के नाम से जाना जाता है। इस गंतव्य का निकटतम रेलवे स्टेशन चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन है जो 320 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नई दिल्ली और चंडीगढ़ से इस स्थान के लिये नियमित बस सेवा उपलब्ध है।
भुंतर की सैर के लिये आदर्श समय सितंबर और मार्च के महीने हैं क्योंकि इस दौरान जलवायु सुखद होती है।