कुंभकोणम के श्री विठ्ठल रूक्मिणी संस्थान को 1998 ई0 में रामश्री विठ्ठलदास जयकृष्ण दीक्षितहार के संरक्षण में स्थापित किया गया था। इस संस्थान की स्थापना का उद्देश्य नामसंकीर्तनम द्वरा भक्ति के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिये किया गया था जिसे मुक्ति का सबसे बेहतर मार्ग माना गया है।
इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये श्री विठ्ठलदास महाराज ने गोविन्दपुरम के दैवीय स्थान पर श्री विठ्ठल रूक्मिणी संस्थान खोला। यह स्थान कुंभकोणम से 6 किमी की दूरी पर कुंभकोणम औदुतराज राजमार्ग पर स्थित है।
गोविन्दपुरम् को संस्थान को स्थापित करने के लिये इसलिये चुना गया क्योंकि इस पवित्र माना जाता है क्योंकि यह वही स्थान है जहाँ पर श्री भगवन्नमा बोधेन्द्र सरस्वती स्वामीगल ने समाधि ली थी। जो लोग संत की समाधि पर आते हैं वे उनकी पवित्र उपस्थिति का एहसास कर सकते हैं। किंवदन्ती के अनुसार यदि आप ध्यान से सुने तो आज भी आपको संत का राम नाम का जाप सुनाई पड़ेगा। उनकी आवाज फुसफुसाहट से शुरू होकर बढ़ती जाती है और फिर शान्त हो जाती है।