Search
  • Follow NativePlanet
Share
होम » स्थल» त्रिची

त्रिची – जहाँ परम्परा का मिलन आधुनिकता से होता है

18

त्रिची या तिरूचिरापल्ली दक्षिण भारतीय राज्य तमिलनाडु का एक औद्यौगिक और शैक्षणिक शहर है। त्रिची अपने ही नाम के जिले का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह शहर कावेरी नदी के तट पर स्थित है। यह शहर तमिलनाडु की चौथी सबसे बड़ी नगरपालिका और नगरीय क्षेत्र है।

इस स्थान के नाम की उत्पत्ति के बारे में कई मत हैं। तिरूचिरापल्ली नाम संस्कृत के त्रिशिरापुरम नाम से बना है जो त्रिशिरा अर्थात तीन सिर और पल्ली या पुरम् अर्थात शहर से मिलकर बना है। ऐसा माना जाता है कि त्रिशिरा नाम के तीन सिर वाले राक्षस ने भगवान शिव की आराधना इसी शहर के नजदीक की और वरदान प्राप्त किये। तेलगू विद्वान सी पी ब्राउन का विश्वास है कि तिरूचिरापल्ली नाम की उत्पत्ति चिरूता-पल्ली नाम के शब्द से हुई है जिसका अर्थ होता है छोटा शहर।

16वीं शताब्दी के एक शिलालेख पर तिरूचिरापल्ली को तिरू-शिला-पल्ली के रूप में उद्धत किया गया है जिसका अर्थ होता है पवित्र-शैल-शहर। कुछ विद्वानों का यह भी मत है कि इस नाम की उत्पत्ति तिरू-चिन्ना-पल्ली से हुई है जिसका अर्थ पवित्र छोटा शहर होता है।

मद्रास के शब्द संग्रह के अनुसार तिरूचिरापल्ली शब्द की उत्पत्ति तिरूचिनापल्ली से हुई है जिसका अर्थ होता है शीना पौधे का पवित्र (तिरू) गाँव (पल्ली)। अंग्रजों के शासन काल में त्रिरूचिरापल्ली को त्रिचिनोपॉली कहा गया जिसे त्रिची या तिरूचि के रूप में संक्षिप्त किया गया

इतिहास के पन्नों से

त्रिची शहर तमिलनाडु में बसने वाले सबसे पुराने शहरों में से एक है। इस शहर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है और इसने कई साम्राज्यों का उत्थान पतन देखा है। सबसे पहले बसने वाली सभ्यतायें दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व की थीं। प्रारम्भिक चोल शासकों ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व यहाँ शासन किया। मध्यकाल में पल्लव शासक महेन्द्रवर्मन-1, जिन्होंने छठी शताब्दी ईसा पूर्व तक शासन किया, ने रॉकफोर्ट में कई गुफा मन्दिरों का निर्माण कराया।

पल्लवों के बाद, मध्ययुगीन चोलों ने त्रिची को अधिग्रहीत कर लिया और 13वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक शासन किया। चोलों के पतन के बाद पाण्ड्यों ने इस जगह पर 1216 से 1311 तक शासन किया इसके बाद वे मलिक कफूर द्वारा परास्त किये गये। इसके बाद इस स्थान पर शासन दिल्ली में आधारित सल्तनत ने किया और मदुरै से 1311 से लेकर 1378 तक किया। सल्तनत के बाद विजयनगर साम्राज्य ने भी क्षेत्र में शासन किया।

त्रिची पर विजयनगर साम्राज्य और मदुरै नायक द्वारा 1736 तक शासन रहा। मदुरै शासक मीनाक्षी द्वारा आत्महत्या किये जाने के बाद इस जगह पर चन्द्र साहिब ने कब्जा कर लिया और 1736 सो 1741 तक शासन किया। चन्द्र साहिब को मराठाओं ने कब्जे में ले लिया और मुरारी राव ने त्रिची में 1741 सो 1743 तक शासन किया जिसके उपरान्त यह कर्नाटक साम्राज्य में मिला लिया गया

1751 में कर्नाटक के नवाब को चन्द्र साहिब ने सत्ता से हटा दिया। इस लड़ाई के कारण एक तरफ अंग्रजो के साथ कर्नाटक के नवाब मोहम्मद अली खान वाल्लजाह और दूसरी तरफ फ्रांसीसियों के साथ चन्द्र साहिब के बीच द्वितीय कर्नाटक युद्ध हुआ।

अंग्रेज शपल हुये और मोहम्मद अली खान वाल्लजाह को राजगद्दी सौंप दी गई। 1801 में अग्रेजों ने कर्नाटक साम्राज्य का अधिग्रहण कर लिया और इसे मद्रास प्रेसिडेन्सी में मिला लिया। अंग्रजों के शासन काल में त्रिची एक प्रमुख और लोकप्रिय शहर के रूप में उभरा।

त्रिची और इसके आसपास के पर्यटक स्थल

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परम्पराओं के कारण त्रिची में बहुत ही खूबसूरत ऐतिहासिक धार्मिक स्थान और किले हैं। विरालिमलाई मुरुगन मन्दिर, रॉफोर्ट मन्दिर, श्री रंगनाथस्वामी मन्दिर, जम्बुकेश्वरार मन्दिर, समायापुरम मरियप्पन मन्दिर, एरम्बीश्वर मन्दिर, वयालूर मुरूगन मन्दिर, वेक्कालीअम्मन मन्दिर, गुनासीलम विष्णु मन्दिर, नादिर शाह मस्जिद, सेन्ट जॉन चर्च और सेन्ट जोसफ चर्च समृद्ध इतिहास की उत्पत्ति हैं।

नवाब का महल के साथ-साथ कल्लानई बाँध और मुकोम्बू बाँध त्रिची की कुछ सबसे पुरानी और महत्वपूर्ण संरचनायें हैं। पोंगल, तमिल नववर्ष, आदि पेरूकू, वैकुण्ठ एकादशी, नवरात्रि, बकरीद, श्रीरंगम कार महोत्सव, दिवाली और होली हर्षोल्लास से मनाये जाने वाले कुछ शानदार पर्व हैं जो इस स्थान के आकर्षण में चार चाँद लगा देते हैं। शहर में स्थानीय शिल्पकलाओं और गहनों की खरीददारी का अनुभव इस स्थान को यात्रियों का स्वर्ग बना देता है।

त्रिची कैसे पहुँचें

त्रिची देश के बाकी हिस्सों से वायु, सड़क तथा रेल मार्गों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। तिरूचिरापल्ली हवाईअड्डा एक अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा है जो चेन्नई, बैंग्लोर, श्रीलंका और कुआलालम्पुर से जुड़ा है।

त्रिची 45, 45बी, 67, 210 तथा 227 नम्बर के राष्ट्रीय राजमार्गो से जुड़ा है। इसलिये शहर से नियमित रूप से बसें तमिलनाडु के प्रमुख शहरों के लिये चलती हैं। त्रिची का रेलवेस्टेशन तमिलनाडु का महत्वपूर्ण जंक्शन है। यह भारत के प्रमुख शहरों से भली भाँति जुड़ा है और यहाँ से दक्षिण भारतीय शहरों के के लिये सीधी गाड़ियाँ हैं।

त्रिची मौसम

त्रिची का मौसम साल के ज्यादतर समय गर्म और चिपचिपा होता है। गर्मियाँ दिन के समय में बहुत ही गर्म होती हैं लेकिन शामें ठंडी होती हैं। मॉनसून भारी बारिश लेकर आता है और तापमान काफी हद तक कम हो जाता है। त्रिची में सर्दियाँ ठंडी और सुहावनी होती हैं। नवम्बर से फरवरी के बीच पड़ने वाले जाड़े के महीने इस शहर मे आने के लिये सबसे बढ़िया होते हैं।

त्रिची इसलिए है प्रसिद्ध

त्रिची मौसम

घूमने का सही मौसम त्रिची

  • Jan
  • Feb
  • Mar
  • Apr
  • May
  • Jun
  • July
  • Aug
  • Sep
  • Oct
  • Nov
  • Dec

कैसे पहुंचें त्रिची

  • सड़क मार्ग
    त्रिची कन्याकुमारी, चेन्नई और मदुरै जैसे तमिलनाडु के अन्य शहरों से राड्य परिवहन की बसों द्वारा जुड़ा है। निजी बसे भी त्रिवन्द्रम और बैंग्लोर जैसे शहरों के लिये चलती हैं। त्रिची की यात्रा के लिये बसें एक सस्ता और आरामदायक विकल्प हैं।
    दिशा खोजें
  • ट्रेन द्वारा
    त्रिची जंक्शन दक्षिण भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है। त्रिची से मदुरै, चेन्नई, बैंग्लोर, मुम्बई और तिरूपति के लिये नियमित गाड़ियाँ उपलब्ध रहती हैं। इसलिये इस स्थान पर रेल द्वारा आना एक अच्छा विकल्प है।
    दिशा खोजें
  • एयर द्वारा
    त्रिची हवाईअड्डा चेन्नई और बैंग्लोर के साथ-साथ श्रीलंका औक कुआलालम्पुर से जुड़ा है। 330 किमी की दूरी पर चेन्नई हवाईअड्डा और 331 किमी की दूरी पर बैंग्लोर हवाईअड्डा ऐसे दो हवाईअड्डे हैं जो इस शहर को भारत के सभी तथा विदेशों के कई शहरों से जोड़ते हैं।
    दिशा खोजें
One Way
Return
From (Departure City)
To (Destination City)
Depart On
28 Mar,Thu
Return On
29 Mar,Fri
Travellers
1 Traveller(s)

Add Passenger

  • Adults(12+ YEARS)
    1
  • Childrens(2-12 YEARS)
    0
  • Infants(0-2 YEARS)
    0
Cabin Class
Economy

Choose a class

  • Economy
  • Business Class
  • Premium Economy
Check In
28 Mar,Thu
Check Out
29 Mar,Fri
Guests and Rooms
1 Person, 1 Room
Room 1
  • Guests
    2
Pickup Location
Drop Location
Depart On
28 Mar,Thu
Return On
29 Mar,Fri