लखपत कच्छ का एक छोटा सा कस्बा और उप-जिला है जिसका अर्थ होता है लखपतियों का शहर। यह शहर 18 वीं सदी के लखपत किले की चहारदीवारी में स्थित है। गुजरात और सिन्ध को जोड़ने के कारण यह शहर व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।
इस शहर का पतन 1819 ई0 के भूकम्प के साथ शुरू हुआ जब सिन्धु नदी का बहाव शहर से दूर हो गया। इस शहर तक पर्यटक अभी भी आते हैं। 7 किमी लम्बी दीवारें, जिन्हें 1801 ई0 में जमादार फतेह मोहम्मद द्वारा बनावाया गया था, इतने वर्षों बाद अभी भी लगभग सलामत हैं।
इस क्षेत्र में साफ मरूस्थलीय हवाओं के कारण रात में आसमान के नजारा अद्भुत होता है। इस सुन्दर परिदृश्य के साथ सूर्योदय और सूर्यास्त को अवश्य देखना चाहिये।