वांकानेर का नाम इसके लोकेशन पर पड़ा। यह मच्छु नदी के पानी या 'नेर' के मोड़ या 'वांका' पर स्थित है। वांकानेर झाला राजपूतों द्वारा शाशित राजसी राज्य था इसलिए इसे झालावर के नाम से भी जाना जाता है। महाराजा अमरसिंह जी वह शाशक थे जिनके काल में वांकानेर एक व्यवस्थित और विकासशील राज्य बना। वह कला और शिल्प के महान संरक्षक थे।
वांकानेर और उसके आस पास के दार्शनिक स्थल
रणजीत विलास महल को महाराजा अमरसिंह जी ने बनवाया था जो आज की तारीख में शाही परिवार को अधिकृत है। इस महल में कई शिल्प के तरीकों को इस्तमाल में लाया गया है। गोथिक मेहराब और स्तंभ, संगमरमर की बालकनी, मुग़ल डोम वाला क्लॉक टावर, फ्रांसीसी और इटालियन स्टाइल की खिड़की का शीशा यह बताने के लिए काफी है कि कैसे दुनिया के कई जगह की बेहतरीन स्टाइल को एक साथ एक जगह लाया जा सकता है।
इस महल में दुर्जेय वाहों का संकलन भी है। रॉयल ओएसिस महाराज का गर्मी के दिनों का महल हुआ करता था। यह मच्छु नदी के पास स्थित है और इसमें अन्दर एक पुल भी है जिसे आर्ट डेको स्टाइल में सजाया गया है। रॉयल रेजीडेंसी और रॉयल ओएसिस दोनों को परम्परागत होटल में बदल दिया गया है और यह गुजरात सरकार के अधीन है। वांकानेर के यह हस्तशिल्प राजपरिवार की धूम और भव्यता को दर्शाता है।
वांकानेर कैसे पहुंचें
वांकानेर रेल और रोड के द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा है। शहर से निकटतम हवाई अड्डा राजकोट में है।