तालछपर अभयारण्य, लाडनू से 25 किमी दूर है। यह अभयारण्य भारत के सबसे खूबसूरत हिरण, 'ब्लैक बक्स' के वास के लिए मशहूर है। हरे-भरे बबूल और प्रोसोपिस के वृक्षों की उपस्थिति अभयारण्य को बिल्कुल किसी सवाना प्रदेश का रूप प्रदान करती है। यहां स्थित कुछ तालाब जानवरों के लिए जलस्रोत के रूप में काम आते हैं।
यह अभ्यारण्य एक विशेष प्रकार की घास के लिए प्रसिद्ध है। इसे स्थानीय भाषा में 'मोतिया' घास कहा जाता है।'मोतिया' शब्द 'पर्ल' अर्थात मोती शब्द से बना है। घास के बीज मोतियों की तरह लगते हैं एवं इनका स्वाद मीठा होता है। पर्यटक इन बीजों को खाने का भी आनंद ले सकते हैं।
ये बीज काले हिरण व पक्षियों का भोजन भी हैं।तालछपर अभयारण्य प्रवासी पक्षी हैरियर बाज का ठहराव स्थल है। सितंबर माह के दौरान, ये पक्षी बड़ी संख्या में अभ्यारण्य में दिखाई पड़ते हैं। आमतौर पर दिखाई देने वाले अन्य पक्षियों में ईस्टर्न इम्पीरियल,पीली भूरी ईगल, लघु पंजों वाली ईगल, गौरैयां, लघु हरे मधुमक्खी भक्षक, चातक, कलगीदार चातक, रिंग कबूतर, भूरे रंग के कबूतर, नीलकंठ तथा काले सारस शामिल हैं।
मार्च के महीने में पक्षी प्रेमी यूरेशिया से आए प्रवासी पक्षी डैमोसिल क्रेन को देखने का लुत्फ उठा सकते हैं। काले हिरन के अलावा, यात्री सालभर यहाँ मरूस्थलीय लोमड़ियां, मरूस्थलीय बिल्लियां, तीतर तथा सैंडग्राउस देख सकते हैं।