मोती बाग पैलेस के पीछे, 1847 में महाराजा नरेन्द्र सिंह द्वारा निर्मित शीशा महल, पटियाला के महाराजा का आवासीय महल था। इस भवन को इसके आकर्षक रंगीन कांच और कांच के काम की वजह से 'दर्पणों के महल' के रूप में जाना जाता है।
महल के सामने की ओर एक झील है तथा झील के पार एक झूला,जिसे लक्ष्मण झूला के नाम से जाना जाता है, इस महल की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। महल में एक संग्रहालय है, जिसमें विश्व के विभिन्न भागों के पदकों का सबसे बड़ा संग्रह है।
दीवारों और छत के ऊपर बनी सुंदर और विस्तृत कलाकृति, राजस्थान और कांगड़ा के कलाकारों की कड़ी मेहनत को दर्शाते है। हर साल, कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और विरासतीय त्योहार शीश महल में आयोजित होते हैं।