अस्थल बोहर एक मठ है, जहां गुरू गोरखनाथ को मानने वाले रहते हैं। इस पंथ के लोगों में भगवान शिव के प्रति अटूट श्रद्धा होती है। यह मठ रोहतक-दिल्ली हाइवे संख्या 10 पर रोहतक शहर से 7 किमी पूर्व में स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार सियालकोट (पाकिस्तान) के निवासी पूरन भगत और गुरू गोरखनाथ के एक अनुयायी ने इस स्थान का भ्रमण किया था।
उन्हें यह स्थान इतना पसंद आया कि उन्होंने अपने लोगों के लिए यहां एक मठ का निर्माण किया, ताकि वे अपनी परंपरा के अनुसार यहां चिंतन और धार्मिक कृत्य कर सकें। हालांकि यह मठ काफी समय तक नजरअंदाज किया जाता रहा। जब 1791 में गुरू गोरखनाथ पंथ के एक प्रसिद्ध साधु बाबा मस्तनाथ यहां आए तो इस मठ को प्रसिद्धि मिली।
इस मठ में ढेरों अवशेष, प्रचीन खोज, गढ़ी हुई पत्थर की मूर्तियां, धर्मग्रंथ, पुस्तक और धार्मिक महत्व की कई वस्तुएं रखी गई हैं। नाथ पंथ वाले, विशेष तौर पर कानफाड़ा योगी (छिदे कान वाले) के बीच यह मठ सबसे ज्यादा पवित्र और पूजनीय माना जाता है।