देहरी, सोन नदी के किनारे, 99 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। ब्रिटिश काल के दौरान देहरी एक मुख्य कैंपिंग स्थल था, जब सैनिक कोलकाता से दिल्ली जाते समय सोन नदी को पार करते थे। यही वो स्थान था जहाँ वे आराम करने के लिए रूकते थे और कैंपिंग को पराओ कहा जाता था।
देहरी का शाब्दिक अर्थ है, आधारभूत (बेस) शहर। वैसे शहर का सबसे प्रमुख अवयव कोयले का डिपो है जहाँ संपूर्ण उत्तरी क्षेत्र से लोग कोयला खरीदने के लिए आते हैं। यह स्थान इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि प्रसिद्ध बंगाली उपान्यासकार शरत चंद्र चट्टोपाध्याय यहाँ रहते थे और जिन्होंने यहाँ अपना उपन्यास ‘गृहदाह’ लिखा था।
पश्चिमी शिक्षा प्रणाली को लोगों तक पहुंचाने के लिए अंग्रेजों ने यहाँ देहरी पब्लिक स्कूल की स्थापना की थी।