मलिकप्पुरम देवी मंदिर एक छोटी पहाडी पर स्थित है और अयप्पा मंदिर से दो मिनट की दूरी पर है। अयप्पा मंदिर के दाहिनी ओर स्थित इस मंदिर में भ्रमण करते समय आप धुंध हवा और सुखद माहौल में खुद को उड़ता हुआ महसूस कर सकते हैं। इस मंदिर में भगवान अयप्पा और मलिकप्पुरम देवी के साथ जुड़ी हुई कई किंवदंतियां हैं।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान ने महिषी राक्षस का नाश किया तब उसके अवशेषों से एक अप्सरा प्रकट हुई और भगवान से विवाह करने की भिक्षा मांगने लगी पर वे ऐसा नहीं कर सकते थे क्योंकि उनहोंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा ली थी।
यह देवी हमेशा भगवान के पास रही अत: उनके सम्मान में इस मंदिर का निर्माण किया गया। मलिकप्पुरम देवी मंदिर में मुख्य पूजा भगवती सेवा है। कन्माशी (काजल), पट्टूदयादा (रेशमी कपडा), पोट्टु (बिंदी) और वाला (चूड़ियाँ) अन्य प्रमुख वस्तुएं हैं जो मंदिर में चढाई जाती हैं। मंदिर के परिसर में सांप के भगवानों को समर्पित कई छोटे छोटे मंदिर हैं। अयप्पा भक्त मलिकप्पुरम देवी मंदिर में थेंगई उरुट्टू (नारियलों को लुढकाना) नाम की एक अद्वितीय रस्म निभाते हैं।