तिरुवल्ला केरल के पथानमथिट्टा जिले में मणिमाला नदी के तट पर बसा एक छोटा सा, शांत शहर है। यह 'मंदिरों के शहर' के रूप में जाना जाता है और कई मंदिरों के साथ यह अपने इतिहास और संस्कृति से समृद्ध है।
तिरुवल्ला के आस पास के स्थान
प्रसिद्ध 'श्री वल्लभ मंदिर', जिसे 'दक्षिणी तिरुपति' के रूप में जाना जाता है, उसके यहां होने से तिरुवल्ला देश भर से पर्यटकों और उपासकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पलियक्करा चर्च भी है जो आपको 52 ईसा पश्चात के इतिहास में वापस ले जायेगा, जब ईसाई धर्म केरल में पहली बार शुरू हुआ था। तिरुवल्ला की सांस्कृतिक परतों में कई कहानियां और कहावते हैं। इस जगह से जुड़ी सब चीज़ों के पीछे एक कहावत है, चाहे वह मंदिर, त्यौहार या उनके नाम ही क्यों न हों। कहावत यह है कि तिरुवतम्कूर महाराजा के शासनकाल के दौरान यह जगह श्री वल्लभपुरम के रूप में जानी जाती थी और बाद में इसका नाम बदल कर तिरुवल्लभपुरम पड़ गया और अब इसे तिरुवल्ला कहते हैं। यहां पर एक और मान्यता है कि तिरुवल्ला नाम, देवता तिरूवल्लभन या विष्णु के नाम पर है। इस प्रकार तिरुवल्ला, विष्णु के शहर के रूप में जाना जाता है।
एक सांस्कृतिक सैरगाह
तिरुवल्ला की विरासत उसके मंदिरों और उनकी गतिविधियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बहुत ही विविध है, जो हिंदू, इस्लाम और ईसाई धर्म को भी शामिल करती है। इस छोटे से शहर में मंदिरों के साथ कई चर्च, और कुछ जानी-मानी मस्जिदें भी हैं। ये धार्मिक स्थान तिरुवल्ला की संस्कृति को अद्वितीय तरह से उपयुक्त बनाते हैं। ये मंदिर केवल पूजा के स्थान नहीं थे, बल्कि इन्होंने यहां के समाज के राजस्व और व्यापार को आकार देने में एक अभिन्न भूमिका निभाई है। तिरुवल्ला इस जगह के अद्वितीय मंदिर के प्रदर्शनों और अनुष्ठानों को अपने अन्दर समेटे हुए है, जिनमें अम्मानकूड़म, अरत्तू, चन्दनाकूड़म, चुत्तूविलक्कू, एज़हुन्नल्लतू और कई अन्य शामिल हैं।
मौसम - तिरुवल्ला का मौसम
तिरुवल्ला अपने सुहावने और रमणीय मौसम के लिए बहुत अच्छी तरह से जाना जाता है। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून हवाएं तिरुवल्ला में करीब दो महीनों के लिए अगस्त से भारी बारिश लाती हैं। तिरुवल्ला का मौसम विशिष्ट रूप से उष्ण है, पर फिर भी मनभावना रहता है। इस ऐतिहासिक शहर में आकर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय बारिश के बाद का है, जब मानसून की अच्छी बारिश इस जगह को हरा-भरा और पहले जैसा बना देती है।
तिरुवल्ला का स्वाद
यहां की प्रमुख फसल धान है और आप खेतों को बहुत अधिक जगह तक फैला हुआ देख सकते हैं। यह जगह उन लोगों के लिए स्वर्ग है, जो ठेठ दक्षिण भारतीय भोजन पसन्द करते हैं। चावल तिरुवल्ला में मुख्य रूप से खाया जाता है, क्योंकि यहां पर यह बहुत अधिक मात्रा में पैदा होता है। इस धारणा के विपरीत कि दक्षिण भारतीय भोजन में केवल इडली और डोसा होता है, आप यहां केले के साथ पुत्तू या काले चने की करी और अप्पम या पैनकेक्स जैसे कई अन्य व्यंजनों को चख कर इनका स्वाद ले सकते हैं।
भोजन बहुत भारी होता है क्योंकि नारियल के बिना केरल के व्यंजन पूरे नहीं हो सकते हैं। यहाँ के स्थानीय लोग सब कुछ स्वादिष्ट अचार की तरह बनाते हैं चाहें वह कच्चा आम, नींबू या काकबदरी ही क्यों न हो। तिरुवाला एक ऐसी जगह है, जहां आप बेहद मीठा, तीखा, मसालेदार, खट्टा, कड़वा-मीठा और तीखे व्यंजनों का कभी न भूलने वाला स्वाद चख सकते हैं। यह छोटा सा शहर अपने पुराने समय के आकर्षण और प्राकृतिक सुंदरता से आपको आश्चर्यचकित कर देगा। यदि आप पौराणिक कथाओं के बहुत बड़े प्रेमी हैं, तो आपको तिरुवल्ला जरूर आना चाहिए। महान राजाओं और शहर भर में उन्होंने, जिन मन्दिरों का निर्माण करवाया इन सब के किस्से आप का इंतजार कर रहे हैं।