कुछ शांति के पल प्राप्त करने के लिए सेवाग्राम जैसा स्थान उपयुक्त है। हरे भरे जंगलों के बीच स्थित यह स्थान ध्यान और अध्यात्म के लिए एक आदर्श स्थान है। महाराष्ट्र राज्य में स्थित सेवाग्राम का अर्थ है – ‘सेवा के लिए एक गाँव’ – इस गाँव का नाम सेवाग्राम तब पड़ा जब सन 1940 में गाँधीजी ने यहाँ रहने का निश्चय किया। इसके पहले इसे शेगांव कहा जाता था।यह गाँव वर्धा से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और भारत के प्रसिद्द आतिथ्य और सेवाओं का स्मारकीय प्रतिनिधी है।
सेवाग्राम आश्रम गाँधीजी की जीवनशैली से निकट रूप से संबंधित है। वे झोपडियाँ जहाँ वे अपनी पत्नी कस्तूरबा के साथ रहते थे, आज भी मजबूती से खड़ी हैं जिन्हें पर्यटक देख सकते हैं। इन झोपडियों में किसी भी प्रकार की सजावट नही की गई है और न ही वे कलात्मक प्रकृति की है। बल्कि वे चटाई, बाँस और मिट्टी के खपरों से बनाई गई हैं – जो इस बात की जानकारी देती हैं कि गांधीजी ने स्वयं को कितनी सामान्य जीवनशैली के लिए अनुकूलित किया था।महादेव कुटी, किशोर कुटी, परचुरे कुटी आदि कुछ झोपडियाँ है जो आश्रम में हैं। इस संपूर्ण स्थान की स्वतंत्रता पूर्व अनुभूति इतिहास को हिला कर रख देती है।
जब गांधीजी ने इस आश्रम की स्थापना की थी तब केवल 1000 लोग ही यहाँ आकर बसे थे। आज सेवाग्राम का यह छोटा गाँव साल भर पर्यटकों से भरा हुआ होता है, जो स्वतंत्र भारत के सबसे शक्तिशाली आदमी की जीवन शैली की एक झलक पाने के लिए उत्सुक होते हैं।मन्त्रमुग्ध कर देनी वाली सुंदरता के कारण सेवाग्राम की यात्रा आपको सम्मोहित कर देगी और इसका प्यार भरा आतिथ्य आपको प्रेरित करेगा।