सेवाग्राम के प्रसिद्द होने का कारण सेवाग्राम आश्रम है – वह स्थान जहाँ गाँधीजी तेरह साल, सन 1936 से सन 1948 तक रहे।ऐसा विश्वास है कि सन 1930 में जब गाँधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक पदयात्रा प्रारंभ की थी तब उन्होंने शपथ ली थी कि जब तक भारत स्वतंत्र नही हो जाता वे साबरमती में कदम नही रखेंगे।
भारत को स्वतंत्रता नही मिली और तब उन्हें गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।जेल से छूटने पर गाँधीजी ने सेवाग्राम में रहने का निश्चय किया। इस प्रकार इस संस्था की स्थापना हुई।आश्रम के कई भाग हैं। अदि निवास और प्रार्थना मैदान, बा कुटी, बापू कुटी और आखरी कुटी उन कई कमरों में से एक हैं जिनका उपयोग गाँधीजी और उनकी पत्नी कस्तूरबा ने किया था।
अन्य कमरों में बापू की रसोई, आद्य अदि निवास, परचुरे कुटी, किशोर निवास, रुस्तम भगवान और यात्री निवास आते हैं।यात्री निवास विशेष रूप से 1982 में पर्यटकों के लिए सरकार द्वारा पर्यटक निवास के रूप में बनाया गया था।