सन 1856 में स्थापित वर्धा जिला महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। इस जिले में स्थित शहर का नाम भी यही है। यह नाम वर्धा नदी से आया जो इस स्थान से बहती है। यह स्थान 6310 किलोमीटर के एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। वर्तमान में वर्धा प्रमुख रूप से कपास व्यापार के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है और इतिहास में गाँधी युग के कारण महत्वपूर्ण है।
वर्धा - वर्धा का इतिहास
इतिहास में वर्धा का एक महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह वह स्थान है, जहाँ अनेक महान राजवंशों ने राज्य किया जिनमें चालुक्य, मौर्य, राजपूत और शतवाहन आते हैं।सन 1351 में पहले वर्धा बहमनी राजवंश के आकर्षण में था। बहमनी राजवंश विघटित होने के बाद सन 1518 में यह इमाद शाही शासकों के अधीन आ गया। मुग़ल राजवंशों के आक्रमण के बाद वर्धा का क्षेत्र अंततः ब्रिटिश शासन के कब्जे में आ गया। भारत की स्वतंत्रता के अध्याय में वर्धा ने गाँधी आश्रम के स्थान के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वर्धा में पर्यटन के आकर्षण
वर्धा इसके कई मंदिरों जैसे गीताई मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर, महाकाली मंदिर और केल्ज़र मंदिर के लिए प्रसिद्द है। विश्व शांति स्तूप, परमधाम आश्रम, गाँधी आश्रम बापू कुटी – ऐतिहासिक पुनार गाँव में आधारित और संग्रहालय अन्य आकर्षण है जो पर्यटकों के बीच वर्धा को एक लोकप्रिय स्थान बनाते हैं।
वर्धा का मौसम पूरे समय सर्वोत्कृष्ट रहता है। यहाँ की गर्मियाँ थोड़ी गरम और असहनीय हो सकती हैं, हालांकि ठंडी हवा के साथ कुछ ठंड इसे दूर कर देती है। ठंड और मानसून के बाद का समय इस स्थान को घूमने के लिए उपयुक्त है। यदि आप हवाई यात्रा करने की योजना बना रहे हैं तो नागपुर का डा. बाबासाहेब अंबेडकर अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा वर्धा पहुँचने के लिए उपयुक्त है।
रेल के द्वारा भी वर्धा अन्य शहरों और कस्बों से जुड़ा हुआ है। यदि आप रास्ते से यात्रा करना चाहते हैं तो अनेक बसें और सड़क परिवहन के अन्य विकल्प भी उपलब्ध हैं।