महाराष्ट्र राज्य के नागपुर शहर को ऑरेंज सिटी के नाम से भी जाना जाता हैं। मुम्बई और पुणे के बाद नागपुर, महाराष्ट्र का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। इसे भारत की टाइगर राजधानी भी कहा जाता है। नागपुर को गोंड राजवंश ने खोजा था जिस पर बाद में मराठा साम्राज्य के अंतर्गत भोसलो ने अपना आधिपत्य जमा लिया था। बाद में अंग्रेजो ने कब्जा करके नागपुर को प्रांत की केन्द्रीय राजधानी बना दिया था। नागपुर शहर का दिलचस्प नाम इस शहर की नाग नदी के नाम पर पड़ा है वही पुर संस्कृत और हिन्दी में शहरों के साथ जुड़ने वाला प्रत्यय है। नागपुर के शहरी डाक टिकट पर अभी भी एक सांप की छवि बनी हुई है। यह शहर 310 मी. की ऊंचाई पर स्थित है और 10,000 किमी. के क्षेत्रफल को समेटे हुए है। नागपुर अपनी हरियाली के चलते भारत में चंडीगढ़ के बाद दूसरे स्थान पर आता है।
नागपुर: प्रकृति, इतिहास और खुशी का एक मिश्रण
नवेगांव बांध, सीताबुल्दी किला और पेंच नेशनल पार्क नागपुर में कुछ प्रमुख आकर्षण केन्द्र है। दीक्षा भूमि नागपुर की प्रतिष्ठित जगह है जहां एक हजार दलितों ने डॉ. बी. आर. अम्बेडकर का अनुसरण किया और बौद्ध धर्म में परिवर्तित हो गए। नागपुर शहर के बीचों-बीच एक पत्थर का खम्भा लगा हुआ है जिसमें देश के सभी प्रमुख शहरों की नागपुर से दूरी लिखी हुई है। इस जीरो माइल का निर्माण ब्रिटिश शासन के दौरान किया गया था। नागपुर शहर में मानव निर्मित और प्राकृतिक दोनों तरह की झील है जिसे देखने पर काफी सुखद अनुभव होता है। अमबाजारी झील में शाम को छोटे बच्चे और उनके परिवार काफी एंजॉय करते है। नागपुर में सेमिनरी हिल्स में बालाजी मंदिर स्थित है जहां से आप पूरे शहर का शानदार दृश्य देख सकते है। ट्रैकर्स इस पहाड़ी को चुनौती के रूप में लेते है और चढ़ाई करते है जिसमें उन्हे काफी मजा आता है।
यहां श्री पोदेश्वर मंदिर और श्री वेंकटेश मंदिर है जो आपकी श्रद्धा का पात्र बनने में अवश्य सफल होगें। नागपुर में एक और मंदिर है - ड्रैगन मंदिर। नाम पर मत जाइए, यह मंदिर भगवान बुद्ध को समर्पित है। यहां के महाराजा बाग में एक गार्डन अच्छी तरह से तैयार किया गया है जिसमें चिडि़याघर भी है। दूसरी तरफ, सीताबुल्दी फोर्ट बना हुआ है जोकि उन बहादुर सैनिकों की याद में बनवाया गया था जिन्होने अंग्रेजी- मराठा युद्ध के दौरान अपना जीवन खो दिया था। यहीं का 300 साल पुराना गुबलीगढ़ किला काफी विशाल बना हुआ है। नागपुर में मनाए जाने वाले नवरात्रि, दशहरा, गणेश पूजा, दुर्गा पूजा, मोहर्रम और अन्य त्यौहार यहां की रौनक में चार चॉद लगा देते है। इस शहर में सारे त्यौहार बड़े जोश और उमंग से बनाए जाते है।
नागपुर में इनका लुत्फ अवश्य उठाए :
नागपुर जाने वालों को यहां के संतरो का स्वाद जरूर चखना चाहिए क्योकि यह शहर ही संतरो की नगरी कहलाती है। यहां की सांस्कृतिक कलाकृतियों को लोकल शापिंग सेंटर से खरीदा जा सकता है ताकि घर वापिस जाने पर आप अपने परिजनों को वहां की कुछ यादें, संस्कृति और प्यार बांट सकें। नागपुर में वारहाड़ी भोजन का स्वाद जरूर चखें। यहां का तीखा खाना विदेशियों को कम भाता है क्योकि उनको मिर्ची लग जाती है या फिर उन्हे हमारे देश के मजेदार मसालों की आदत नहीं है। नागपुर, दक्कन के पठार के पास स्थित है जहां पानी का कोई स्त्रोत नहीं है जिसके कारण यहां गर्मी और सर्दी दोनो ही जमकर पड़ती है।
एक महत्वपूर्ण केंद्रीय हब - नागपुर
नागपुर देश के लगभग बीचों- बीच स्थित शहर है जहां से भारत के सभी प्रमुख शहर समान दुरी पर है। एक प्रमुख शहर होने के नाते, नागपुर में हवाई, रेल और सड़क परिवहन के सभी साधन अच्छी तरह जुड़े हुए है। भारत के प्राथमिक औद्योगिक केन्द्रों में से एक, नागपुर पर्यटन से राज्य सरकार को राजस्व का एक बहुत बड़ा हिस्सा मिलता है। इस शहर की जड़ों में संस्कृति, इतिहास, परंपरा, अध्यात्म और प्रकृति की आमद गहराई से धंसी हुई है जोकि गर्व का अनुभव करवाती है। इस शहर को देखने के बाद पता चलता है कि भारत देश के अतीत में नागपुर का वर्चस्व कायम था।