शेखावाटी से लग भग 82 कि.मी दूर स्थित चुरू, अपनी आलीशान हवेलियों और किलों के लिए प्रसिद्ध है। जिसका निर्माण पूरी तरह राजस्थानी शैली में किया गया है। इन हवेलियों और किलों की बाहरी दीवारों पर यहाँ के वीरों की वीर गाथाओं के चित्र बनाये गए हैं। कन्हैयालाल बागला हवेली, सुराना हवेली और मालजी का कमरा नमक इन तीनों हवेलियों की दीवारों पर (राजस्थानी कहानियों के कलाकार) डोला और मारू के जीवन के कई हिसों का चित्रण किया गया है।
1739 में ठाकुर कुशल सिंह द्वारा बनाया किला, यहाँ का प्रमुख आकर्षण है। इनके अलावा नगर श्री अजायबघर, लक्ष्मीनारायण चंद्गोथिया हवेली और लक्ष्मीनारायण मंदिर यहाँ के कुछ एतिहासिक स्थल है। अत कंभ छतरी और गोंदिया छतरी यहाँ के प्रसिद्ध एतिहासिक स्थल है।
इन छतरियों की भीतरी दीवारों पर बनाये गए सुन्दर चित्र आखों को सुकून देते हैं। इनके अलावा रघुनाथजी मंदिर, चंद्गोथिया मंदिर, जामा मस्जिद, नाथजी का डोरा, सेठानी का जोहरा और बालाजी मंदिर चुरू के मुख्या आकर्षक स्थान है।