16वीं सदी के ये ब्रिटिश और डच मकबरे वास्तुकला में सथानीय हिंदु और इस्लामी शैली से प्रभावित हैं और इनके साथ ही आर्मेनियाई कब्रिस्तान है जहाँ कब्रें बनी हुई हैं जिनकी बनावट बड़ी नहीं है लेकिन इनपर शिलालेख बने हैं। ये सभी संरक्षित ऐतिहासिक स्मारक हैं और इस क्षेत्र में फोटोग्राफी करना मना है।