यह झील तवांग शहर से 18 किमी दूर है। तवांग आने वाले पर्यटकों के बीच यह हमेशा से आकर्षण का केन्द्र रहा है। साथ ही यह पिकनिक मनाने की भी एक आदर्श जगह है। ठंड के समय में यह झील जम जाता है और फिर यह स्कीइंग का पसंदीदा स्थान बन जाता है।
यह एक स्तूप है, जो तवांग कस्बे से 90 किमी दूर है। खास बात यह है कि यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा स्तूप है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तूप का निर्माण 12वीं शताब्दी के आरंभ में एक मोनपा संत लामा प्राधार द्वारा किया गया था। यह एक अर्ध-वृत्ताकार गुंबदनुमा संरचना है, जिसका...
यह खूबसूरत जलप्रपात अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में है। देश के पूर्वोत्तर का एक भव्य जलप्रपात है होने के बावजूद भी पर्यटक इसके बारे में कम ही जानते हैं। यह जांग कस्बे से करीब 2 किमी दूर तवांग-बोमडिला रोड पर स्थित है। नुरानंग नदी सेला पास के उत्तरी ढलान से निकलती...
अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो वह सेला माउंटेन पास है। यहां की सुंदरता को देखकर पर्यटक मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकते हैं। ठंड के मौसम में सेला पर्वत श्रृंखला पर बर्फ की सफेद चादर बिछ जाती है। यह शानदार नजारा आंखों को सुकून पहुंचाने वाला होता है। साल के अधिकतर...
तवांग के प्रचीन मठों में से एक उर्गेलिंग मठ तवांग शहर से 3 किमी दूर स्थित है। इसके बारे में कहा जाता है कि इसका अस्तित्व 14वीं शताब्दी से है। इस मठ का निर्माण उर्गेन संगपो द्वारा किया गया था और यह भी माना जाता है कि यह मठ उनके द्वारा बनवाए गए पहले तीन मठों में एक...
सेला पास से तवांग की ओर 21 किमी आगे जाने पर वीर योद्धा जसवंत सिंह का घर पड़ता है। मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित इस सैनिक ने चीनी सिपाहियों के विरुद्ध युद्ध में अपनी जान की कुर्बानी दी थी। 1962 में भारत-चीन युद्ध में लगातार 72 घंटे लड़ कर उन्होंने साहस और शौर्य...
ये मेमोरियल उन शहीदों को समर्पित है, जिन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। इस मेमोरियल में युद्ध और इसमें जान की कुर्बानी देने वाले सिपाहियों की सूची भी है।
तवांग से 42 किमी दूर स्थित इस झील का निर्माण 1950 में आए भूकंप के परिणामस्वरूप हुआ था। झील और आसपास का नजारा इतना शानदार है कि यह बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं के लिए शूटिंग का भी एक आदर्श स्थान है। इस झील पर एक प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्म की शूटिंग भी की जा चुकी है।
तवांग शहर से करीब 45 किमी दूर स्थित तकत्सांग मठ के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था। यह मठ एक छोटी सी पहाड़ी के एक टीले पर स्थित है और हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है। यहां आने वाले पर्यटकों के पास एक विकल्प यह भी रहता है कि वे उस...
तवांग से सिर्फ 82 किमी दूर स्थित यह एक खूबसूरत जलप्रपात है। यहां 100 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है। यह जलप्रपात जेमीथांग जाने के क्रम में पड़ता है।
तवांग मठ भारत का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ है। इसकी स्थापना मेराक लामा लोड्रे ने 1860-1861 में की थी। तवांग जिले के बोमडिला से यह मठ 180 किमी दूर है। समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ पर स्थित इस मठ को गालडेन नमग्याल लहात्से के नाम से भी...
मजुश्री विद्यापीठ तवांग का एकमात्र अनाथालय है। अगर आप चाहे तो वहां जाकर अनाथ बच्चों के बीच कुछ पल गुजार सकते हैं। यह अनाथालय तवांग शहर से सिर्फ 5 किमी दूर है।
तवांग शहर से एक किमी दूर स्थित रेग्यालिंग मठ चीड़ के घने पेड़ों के बीच स्थित है। मठ का निर्माण पूर्व रिग्या रिनपोचे द्वारा किया गया था। उनकी मृत्यु के बाद उनके सचिव चांग से इस मठ का देखभाल करने लगे। ऐसा माना जाता है कि रिग्या रिनपोचे का अवतार दक्षिण भारत में अपनी...