थालास्सेरी किला ( तिलीचेरी किला ), एक ऐतिहासिक स्मारक है जिसे ईस्ट इंडिया कम्पनी के द्वारा 1708 में बनाया गया था। इस किले की औपनिवेशिक काल के दौरान व्यापारिक और अंग्रेजों की सैन्य गतिविधियों में प्रमुख भूमिका रही है।
मुझापिलांगड़ तट के किनारे पर स्थित एक चट्टान पर बने इस किले के भीतर औपनिवेशिक शासन और मैसूर आक्रमण के कई किस्से और कहानियां शामिल हैं। किले की संरचना में विशाल दीवारें और अलंकृत नक्काशीदार दरवाजे शामिल हैं। इस किले में अरब सागर से जुड़ी हुई कई भीतरी गुप्त सुरंगें हैं। इतिहास के अनुसार, हैदर अली ( मैसूर के राजा ) ने 1781 में इस किले पर फतेह करने का असफल प्रयास किया था।
इस किले की नींव विशाल लेटेराइट पत्थरों से निर्मित है और किले के प्रवेश द्वारों को 18 वीं सदी के सुंदर भित्ति चित्रों से सजाया गया है। थालास्सेरी किला, भारत के उन स्मारकों में से एक है जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित किया गया है। इस किले में अंदर एक सूचना गैलरी है जिसमें दफन हुई गुफाओं, स्मारकों और प्राचीन पेंटिग्स को विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया है।
समय : सुबह 8:00 से शाम 6:00 तक
प्रवेश शुल्क : कुछ नहीं।