खोंगजोम जिला थौबल का बेहद चर्चित पर्यटन स्थल है। इसी जगह मणिपुरियों और अंग्रेजों के बीच आजादी की आखिरी लड़ाई हुई थी। अप्रैल 1891 में हुई इस लड़ाई में मणिपुरियों ने ब्रिटिश चीफ कमिश्नर और उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों की हत्या कर दी थी।
हालांकि मणिपुरियों के...
थौबल जिला के न्यायिक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला खंगाबोक राज्य का सबसे बड़ा गांव है। यहां मीटीस जनजाति की आबादी सबसे ज्यादा है। इस क्षेत्र में मीटीलोन और मणिपुरी भाषा बोली जाती है।
पहले इस गांव में बड़ी संख्या में खंगरा वृक्ष हुआ करता था। इसी के नाम पर इस...
मणिपुर के व्यवसायिक गढ़ मोरेह जाने वाले पर्यटक पालेल शहर में ही रुकते हैं। इम्फाल से 46 किमी दूर यह शहर थौबल और चंदेल की सीमा पर पड़ता है और एनएच-39 यहीं से गुजरती है। यह ट्रांस-एशियन सुपर हाईवे का प्रवेशद्वार भी है।
पालेल चंदेल की पहाड़ियों और थौबल के...
सुगनु थौबल जिला का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र है। यह राज्य की राजधानी मणिपुर से 74 किमी दूर और सुगनु-इम्फाल स्टेट हाईवे से जुड़ा हुआ है। व्यापारिक केन्द्र के अलावा यह शहर अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। यहां से इम्फाल नदी बहती है, जिससे यहां की हरियाली...
प्रमुख व्यापारिक केन्द्र ककचिंग थौबल जिला के जिला मुख्यालय के बाद सबसे बड़ा शहर है। बर्मा की सीमा से 70 किमी और इम्फाल से 44 दूर स्थित ककचिंग में पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। ककचिंग थौबल जिले के दो तहसीलों में से एक है। दूसरा तहसील वेईखोंग है।
ककचोंग में...
थौबल जिला झीलों और नदियों के लिए जाना जाता है और प्रसिद्ध लोकतक झील इसी जिले में पड़ती है। वेईथाउ झील वेईथाउ को एक रोचक पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाती है और यहां की प्राकृतिक सुंदरता में और भी इजाफा कर देती है। जिले के उत्तर में पड़ने वाली इस झील का निर्माण वेईथाउ हिल...
वैसे तो थौबल में कई नदियां और झीलें हैं। पर यहां से होकर बहने वाली थौबल और इम्फाल नदी का विशेष महत्व है। ये दो नदियां न सिर्फ यहां की खूबसूरती में इजाफा करती है बल्कि ये कई शहरों और गांवों की जीवनदाता भी हैं। झीलों की बात करें तो इकोप झील, लौसी झील, पुमलेन झील और...