शांतिनिकेतन को साहित्यिक पृष्ठभूमि के कारण जाना जाता है, यह पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में कोलकाता के उत्तर से लगभग 180 किमी. की दूरी पर स्थित है। रवीन्द्रनाथ टैगोर, नोबेल पुरस्कार विजेता ने शांतिनिकेतन को बनाया था जो एक अंर्तराष्ट्रीय यूनीवर्सिटी है जहां संस्कृति और पंरपरा को विज्ञान के साथ जोड़कर समझाया जाता है।
निकेतन का अर्थ होता है घर और शांति का अर्थ होता है ऐसा स्थान जहां शांत वातावरण हो और आसपास का माहौल आपको शहर की भीड़ से दूर कुछ पल सुकून के प्रदान करे। कई विख्यात हस्तियां जैसे - इंदिरा गांधी, सत्यजीत रे, गायत्री देवी, नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन और अबुल गानी खान, शांतिनिकेतन के दौर पर आ चुके है। यह स्थान देसी और विदेशी पर्यटकों के भ्रमण के लिए खास स्थल है। शांतिनिकेतन के दौरे पर आकर आप कट्टरपंथी कला, नृत्य और संस्कृति को एक साथ देख सकते है।
शांतिनिकेतन के बारे में सबकुछ
शांतिनिकेतन में हमेशा कोई न कोई कार्यक्रम चलता ही रहता है। यहां कई प्रकार के सेलिब्रेशन साल भर होते है। रविन्द्रनाथ टैगोर का जन्मदिन अप्रैल मध्य में मनाया जाता है। शांतिनिकेतन में हर साल, अगस्त/सितम्बर के महीने में मानसून के दिनों में पौधो को रोपने का काम किया जाता है जिसे वृक्षारोपण त्यौहार के नाम से जाना जाता है।
शांतिनिकेतन में ब्रह्मा मंदिर की स्थापना के उपलक्ष्य में पौष उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव दिसम्बर से जनवरी के बीच में मनाया जाता है, इसमें लोकनृत्य, संगीत, कला और संस्कृति, खेल और कलाकृतियों आदि को किया जाता है। इसके अलावा, माघोत्सव, जॉयदेव मेला और वंसत उत्सव भी यहां के ऐतिहासिक आयोजन है।
शांतिनिकेतन, बंगाली भोजन के लिए प्रसिद्ध है, विशेषतौर पर फिश करी यहां सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। यहां का विश्व भारती कैम्पस काफी विशाल और सुंदर है। महर्षि देवेन्द्रनाथ,रविन्द्रनाथ टैगोर के पिता थे, जो हर दिन इस कक्ष में प्रार्थना किया करते थे।
स्नातक की शिक्षा के दौरान, प्रत्येक छात्र को सप्तापारनी वृक्ष से पांच तनु दी जाती है। यहां के कला और शिल्प कॉलेज में मूर्तियां, भित्ति और भित्ति चित्र आदि को दर्शाया जाता है। इसके अलावा, यहां कई पुस्तकों का विशाल संग्रहालय भी है। पांरपरिक ब्रहमाचार्य आश्रम को पटना भवन के द्वारा फॉलो किया जाता है। यहां हर बुधवार को प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है। महान कवि, यहां के उत्तरायण परिसर में रहते और काम करते थे।
शांतिनिकेतन के पास में ही अन्य स्थल भी मौजूद है जैसे - कानकालीताला, जो एक पवित्र सतीपिठास है और यह स्थल बुधवार के अलावा शेष सभी दिनों में खुला रहता है। जॉयदेव - कुंडुली, लेखक गीता गोविंदा का जन्म स्थान है। यहां एक मंदिर है नानुर, जो कि देवी भुसुली को समर्पित है। इसके अलावा, यहां बाकरेश्वर है जो गर्म पानी का झरना है। शांतिनिकेतन की यात्रा के दौरान तारापीठ, लावपुर - फुलारा, साईनाथ - नंदेश्वरी, नालहटी और मसनजोर में भी सैर के लिए जाया जा सकता है।
शांतिनिकेतन तक कैसे पहुंचे
शांतिनिकेतन, रेल, सड़क और हवाई मार्ग के द्वारा भली प्रकार से जुड़ा हुआ है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन कोलकाता है।
शांतिनिकेतन का मौसम
शांतिनिकेतन में गर्मियां, शुष्क और गर्म व सर्दियां, ठंडी होती है।