पूर्वोत्तर भारत में गुवाहाटी के बाद अगरतला सबसे महत्वपूर्ण शहर है। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से इस क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। बांग्लादेश से सिर्फ दो किमी दूर स्थित यह शहर सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। अगरतला त्रिपुरा के पश्चिमी भाग में स्थित है और हरोआ नदी शहर से होकर गुजरती है। पर्यटन की दृष्टि से यह एक ऐसा शहर है, जहां मनोरंजन के तमाम साधन हैं, एंडवेंचर के ढेरों विकल्प हैं और सांस्कृतिक रूप से भी बेहद समृद्ध है। इसके अलावा यहां पाए जाने वाले अलग-अलग किस्म के जीव-जंतु और पेड़ पौधे अगरतला पर्यटन को और भी रोचक बना देते हैं।
भौगोलिक दृष्टि से भी अगरतला इस क्षेत्र के अन्य राज्यों की राजधानी से काफी अलग है। दूसरी राजधानियों से उलट अगरतला बांग्लादेश तक फैले गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानी ईलाके के पश्चिमी छोर पर स्थित है। यहां बड़े भूभाग पर जंगल फैला हुआ है, जिससे यह शहर काफी हरा-भरा दिखाई देता है।
राज्य की राजधानी होने के बावजूद भी एक मामले में आप कह सकते हैं कि अगरतला पिछड़ा हुआ है। किसी दूसरे बड़े शहरों की तहर यहां ज्यादा आपाधापी और हलचल नहीं है। संस्कृति और प्रकृति के बीच यहां का शांत और निर्मल माहौल छुट्टी बिताने की एक आदर्श जगह हो सकती है।
संक्षिप्त इतिहास
अगरतला उस समय प्रकाश में आया जब माणिक्य वंश ने इसे अपनी राजधानी बनाया। 19वीं शताब्दी में कुकी के लगातार हमलों से परेशान होकर महाराज कृष्ण माणिक्य ने उत्तरी त्रिपुरा के उदयपुर स्थित रंगामाटी से अपनी राजधानी को अगरतला शिफ्ट कर दिया।
राजधानी बदलने की एक और वजह यह भी थी कि महाराज अपने साम्राज्य और पड़ोस में स्थित ब्रिटिश बांग्लादेश के साथ संपर्क बनाने चाहते थे। आज अगरतला जिस रूप में दिखाई देता है, दरअसल इसकी परिकल्पना 1940 में महाराज बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर ने की थी।
उन्होंने उस समय सड़क, मार्केट बिल्डिंग और नगरनिगम की योजना बनाई। उनके इस योगदान को देखते हुए ही अगरतला को ‘बीर बिक्रम सिंह माणिक्य बहादुर का शहर’ भी कहा जाता है। शाही राजधानी और बांग्लादेश से नजदीकी होने के कारण अतीत में कई बड़ी नामचीन हस्तियों ने अगरतला का भ्रमण किया। रविन्द्रनाथ टैगोर कई बार अगरतला आए थे। उनके बारे में कहा जाता है कि त्रिपुरा के राजाओं से उनके काफी गहरे संबंध थे।
अगरतला और आसपास के पर्यटन स्थल
अगरतला और आसापास के क्षेत्र में कई पर्यटन स्थल हैं। अगरतला पूर्वोत्तर के उन कुछ गिने चुने शहरों में से है, जिसने आधुनिकता को बेहद सहजता से अपनाने के साथ-साथ पुराने गौरवशाली विरासत को बचाए रखा है। वैसे तो शहर राजमहलों और शाही संपदाओं से भरा हुआ है, बावजूद इसके यहां आधुनिक भवनों का निर्माण भी तेजी से हुआ है। पुराने और नए निर्माण आपस में मिलकर शहर को एक नया आयाम देते हैं। अगर आप अगरतला घूमने जा रहे हैं, तो इन स्थानों पर जरूर जाएं-
इस महल को महाराजा राधा किशोर माणिक्य ने बनवाया था। अगरतला जाने पर इस महल को जरूर घूमना चाहिए। इसका निर्माण कार्य 1901 में पूरा हुआ था और फिलहाल इसका इस्तेमाल राज्य विधानसभा के रूप में किया जा रहा है।
नीरमहल :
मुख्य शहर से 53 किमी दूर स्थित इस खूबसूतर महल को महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य ने बनवाया था। रुद्रसागर झील के बीच में स्थित इस महल में महाराजा गर्मियों के समय ठहरते थे। महल निर्माण में इस्लामिक और हिंदू वास्तुशिल्प का मिला-जुला रूप देखने को मिलता है, जिससे इसे काफी ख्याति भी मिली है।
जगन्नाथ मंदिर:
अगरतला के सर्वाधिक पूजनीय मंदिरों में से एक जन्नाथ मंदिर अपनी अनूठी वास्तुशिल्पीय शैली के लिए जाना जाता है। यह एक अष्टभुजीय संरचना है और मंदिर के पवित्र स्थल के चारों ओर आकर्षक प्रधक्षण पठ है।
महाराजा बीर बिक्रम कॉलेज :
जैसा कि नाम से ही जाहिर है, इस कॉलेज को महाराजा बीर बिक्रम सिंह ने बनवाया था। 1947 में इस कॉलेज को बनवाने पीछे महाराजा कि मंशा स्थानीय युवाओं को व्यवसायिक और गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध कराना था।
लक्ष्मी नारायण मंदिर :
इस मंदिर में हिंदू धर्म को मानने वाले नियमित रूप से जाते हैं। साथ ही यह अगरतला का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी है। इस मंदिर को कृष्णानंद सेवायत ने बनवाया था।
रविन्द्र कनान :
राज भवन के बगल में स्थित रविन्द्र कनान एक बड़ा सा हरा-भरा गार्डन है। यहां हर उम्र के लोग आते हैं। कुछ तो यहां मौज मस्ती के मकसद से आते हैं, वहीं कुछ इसका इस्तेमाल प्ले ग्राउंड के तौर पर भी करते हैं।
अगरतला तेजी से एक आधुनिक शहर के रूप में विकसित हो रहा है, जिससे यह आधुनिक सुख-सुविधाओं के साधन से भी लैश है। एक ओर जहां आपको विश्व स्तरीय रेस्टोरेंट मिलेंगे, वहीं दूसरी ओर मध्यम दर्जे के रेस्टोरेंट की भी कमी नहीं होगी। साथ ही यहां ठहरना भी आपको ज्यादा महंगा नहीं पड़ेगा।
ये तमाम चीजें मिलकर अगरतला पर्यटन को काफी सहज बना देती है। यहां के रेस्टोरेंट में आपको उपमहाद्वीपीय, चायनीज और भारतीय व्यंजन औसत दरों पर मिल जाएंगे। यहां के होटल का किराया भी मुनासिब ही है और इसमें सभी बुनियादी सेवाएं उपलब्ध रहती हैं।
पिछले कुछ सालों में चावल, तिलहन, चाय और जूट के नियमित व्यापार से अगरतला पूर्वोत्तर भारत के एक व्यवसायिक गढ़ के रूप में भी उभरा है। शहर में कुछ फलते-फूलते बाजार हैं, जिन्हें घूमना बेकार नहीं जाएगा। इन बाजारों में बड़े पैमाने पर हस्तशिल्प और ऊन से बने वस्त्र आपको मिल जाएंगे।