मेयो महाविद्यालय की स्थापना मेयो के छठवे अर्ल द्वारा की गयी थी, जो 1869 से 1872 तक भारत के राजप्रतिनिधि (वाइसराय) थे, ताकि रियासत के शासकों को ब्रिटिश मानकों के अनुसार शिक्षा प्रदान की जा सके। अंग्रेजों ने इस विद्यालय की स्थापना, भारतीय संभ्रांत वर्ग विशेषतः राजपुताना कुलीन वंश को शिक्षा प्रदान करने हेतु की थी।
महाविद्यालय का मुख्य भवन मेजर मेंट द्वारा भारतीय - अरबी शैली में डिजाइन किया गया था, जिसे जयपुर के राज्य अभियंता, सर सेमुअल स्विंटन जेकब द्वारा प्रसिद्ध किया गया था। सफ़ेद संगमरमर से बनी यह इमारत भारतीय-अरबी वास्तुकला का उत्कृष्ट उदहारण है। इस इमारत का निर्माण वर्ष 1877 से 1885 के बीच आठ वर्षों में हुआ था।
झालावाड़ हाउस के अंदर स्थित संग्रहालय कई प्राचीन कलाकृतियों और शस्त्रागार वर्गों का घर है। महाविद्यालय का कुलचिन्ह कला विद्यालय, लाहौर के पूर्व प्रधानाचार्य लॉकवुड किपलिंग द्वारा डिजाइन किया गया है। वे प्रसिद्ध लेखक रूडयार्ड किपलिंग के पिताजी भी थे।