जैसा कि जाम से ही जाहिर है, इस गुरुद्वारा को सारागढ़ी के युद्ध में जान की कुर्बानी देने वाले सिक्ख योद्धाओं की याद में बनाया गया है। 1897 में हुआ सारागढ़ी युद्ध विश्व इतिहास की एक प्रमुख घटना है और इसमें 36वीं सिक्ख रेजीमेंट के 21 सैनिक ने सारागढ़ी किला को बचाने के लिए पठानों से अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी।
पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर चार्ल्स पेव्ज ने 1902 में इस गुरुद्वारा का अनावरण किया था। उन 21 शहीद सैनिकों का नाम गुरुद्वारा के दीवार पर स्थापित संगमरमर के पत्थर पर उकेरा गया है। इस दीवार का निर्माण सारागढ़ी किला से लाए गए पत्थरों से किया गया था।
हर साल 12 सितंबर को इस गुरुद्वारा में एक धार्मिक और सेवानिवृत्त सैनिकों के समागम का आयोजन किया जाता है। ऐतिहासिक दृष्टि से जगह काफी महत्वपूर्ण और अमृतसर घूमने के दौरान अगर आप के पास समय हो तो यहां जरूर जाएं।