जैन मंदिर, भोजेश्वर मंदिर के पास ही स्थित है। आप अभी तक अधूरी एक और संरचना, इस प्रसिद्ध जैन मंदिर को देख सकते हैं। इस अधूरी संरचना में भी, भुजेश्वर मंदिर के सामान ही पत्थर जुटाने का एक रास्ता दिखाई पड़ता है। इस मंदिर में तीर्थांकरों की तीन मूर्तियाँ हैं जो सभी जैन मंदिरों की विशेषता है।
इनमें से सबसे महत्वपूर्ण महावीर भगवान की एक विशाल मूर्ति है जो लगभग 20 फीट ऊंची है। शेष दो प्रतिमाएँ पार्श्वनाथ की हैं। इस मंदिर का ढांचा आयताकार है। इन प्रतिमाओं में से एक के आधार पर एक शिलालेख भी है जिसमें राजा भोज के नाम का उल्लेख है। इसी मंदिर के परिसर में आचार्य मंतुंगा का मंदिर भी है जिन्होंने लोकप्रिय ‘भक्तामर स्त्रोत’ लिखा था।