इमामबाडा बडगाम का निर्माण, 1857 में आगा सैयद मोहम्मद ने करवाया था। यह धार्मिक स्थल, कश्मीरी शिया मुस्लिमों के लिए विशेष महत्व रखता है। इतिहासकारों के अनुसार, आगा सैयद मेहदी जो एक शिया थे, प्रतिदिन यहां आकर इमामबाड़ा में प्रार्थना किया करते थे अर्थात पुराने समय में यह प्रार्थना करने वाले सर्वोच्च लोगों का निवास हुआ करता था।
इस इमामबाड़ा की इमारत 19 वीं सदी की भारतीय - ईरानी स्थापत्य वास्तुकला शैली का सुंदर मिश्रण है। इस इमामबाड़ा की भव्य आंतरिक सुंदरता के लिए असगर अली को श्रेय दिया जाता है, जबकि 1924 में आगा सैयद साहिब ने इस इमारत का विस्तार लुगदी कागज का उपयोग करके किया था। 1955 के दौरान आगा सैयद युसुफ अल-मौसवी अल- सैफवी और अंजुमन-ए-सहरी सहिन ने इस इमारत को आगे बनाया था।
वर्तमान में इमामबाड़ा, अष्टकोणीय संरचना के आकार का है जिसमें 5 प्रवेश द्वार हैं। प्रत्येक प्रवेश द्वार 12 फीट ऊंचा है और 5 प्रवेश द्वारों में से एक द्वार केवल महिलाओं के लिए आरक्षित है। पर्यटक यहां आकर इमामबाड़ा के पास में ही स्थित एक मस्जिद में भ्रमण कर सकते हैं जिसे भी आगा सैयद युसुफ अल-मौसवी अल-सैफवी ने बनवाया था।