डिगबोई के युद्ध समाधि क्षेत्र का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मारे गये सैनिकों को दफनाने के लिये किया गया था। अंग्रेजों के शासनकाल में बर्मा के अभियान के लिये पूर्वोत्तर भारत ही सक्रिय क्षेत्र था। चूँकि डिगबोई बर्मा की सीमा के नजदीक था इसलिये शहर में एक अस्थाई सैन्य अस्पताल का निर्माण किया गया था जहाँ से मृत शरीरों को दफनाने के लिये इसी कार्य के लिये बनाये गये युद्ध समाधि क्षेत्र में भेजा जाता था।
वर्तमान में डिगबोई युद्ध समाधि क्षेत्र में लगभग 200 समाधियाँ हैं जिनकी देखरेख कॉमनवेल्थ वॉर ग्रेव्स कमीशन करता है। शुरुआत में यहाँ 70 समाधियाँ थी लेकिन आर्मी ग्रेव्स सर्विस की बेहतर देखरेख के कारण पानीटोला, तिनसुकिया, मार्गेरीटा, जोरहट और लेडो जैसे स्थानों की समाधियों को स्थानान्तरित किया गया।
बेहतर रूप से देखरेख वाली यह समाधिस्थल पर्यटकों को द्वितीय विश्व युद्ध के समय में ले जाती है। वर्ष 1950 की भारी वर्षा के कारण हुये भूस्खलन और भूकम्प के कारण समाधियों को वर्तमान स्थल पर लाया गया था। वर्तमान स्थल को इसलिये चुना गया था क्योंकि अपर्दन के कारण भू-पटल को नुकसान नहीं होगा।