राजमाता देवेन्द्र कुंवर सरकारी संग्रहालय डुंगरपुर के समृद्ध इतिहास की झलक प्रस्तुत करता है। इस संग्रहालय में तीन गैलरियाँ हैं जहाँ विभिन्न देवताओं की धातु की दुर्लभ मूर्तियां, लघुचित्र, पत्थर के शिलालेख और सिक्के देखने को मिलते हैं जो 6 वीं शताब्दी के हैं।
पहली गैलरी भारतीय इतिहास के गुप्तकाल की विभिन्न मूर्तियों को देखने का अवसर प्रदान करती है। ये मूर्तियां गलियाकोट, अमझरा और बरोदा से एकत्रित की गई हैं। अद्वितीय मूर्तियां जैसे तांत्रिक गणेश, हिरन की खाल पहने हुए ब्राह्मी, वीणा पकडे हुए शिव, पद्मिदी, पदमपनी, यक्ष, गरुड़ की सवारी करती हुई वैष्णवी पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है।
जबकि दूसरी गैलरी प्रसिद्द क़ुतुब मीनार की प्रतिकृति और पोस्टल स्टैम्प से बना हुआ विजय स्तंभ प्रस्तुत करती है। तीसरी गैलरी में पर्यटक अनेक शिलालेख, टेराकोटा की मूर्तियां, तैलचित्र और फोटोग्राफ देख सकते हैं।