डुंगरपुर पहाड़ियों का शहर है जो राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित है। यह शहर डुंगरपुर जिले का प्रशासनिक मुख्यालय है। ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार पहले यह डुंगरपुर रियासत की राजधानी था। भील लोग यहाँ के प्राचीन लोग हैं और इस जिले के प्रमुख आदिवासी हैं तथा पहले के समय में इस स्थान पर उनका राज्य था। राजा वीर सिंह ने भील समुदाय के मुखिया से डुंगरपुर को अधिगृहीत कर लिया।
खिलौने बनाना और चित्रों की फ्रेमिंग – रचनात्मकता खोलें!
यहाँ के खिलौना उद्योग का वर्णन किये बिना इस स्थान का वर्णन अधूरा है। यहाँ लकड़ी के सुंदर खिलौने बनाए जाते हैं और इन्हें चमकीला बनाने के लिए रोगन का उपयोग किया जाता है। अधिकांश खिलौने मनुष्यों और पशुओं को चित्रित करते हैं। ये खिलौने अनेक मेलों और अवसरों पर प्रदर्शित किये जाते हैं। खिलौने बनाने के अलावा डुंगरपुर सोने और चांदी के सुनारों द्वारा चित्रों की फ्रेमिंग करने के लिए जाना जाता है।
डुंगरपुर शहर में बड़ी मात्रा में चांवल, सागौन, आम और खजूर का उत्पादन होता है। पर्यटक डुंगरपुर के घने जंगलों में ट्रेकिंग के लिए भी जा सकते हैं और विभिन्न प्रकार के जंगली जानवर जैसे सियार, जंगली बिल्ली, लोमड़ी, साही और नेवले देख सकते हैं।
मेले और त्यौहार – उल्लास की अभिव्यक्ति!
डुंगरपुर के बनेश्वर मंदिर में होने वाला बनेश्वर मेला आदिवासियों का लोकप्रिय त्यौहार है। यह त्यौहार जो फरवरी महीने की पूर्णिमा को या माघ शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है, बड़ी संख्या में पर्यटकों को मंदिर की ओर आकर्षित करता है। इस पवित्र अवसर पर गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश से भील आदिवासी आते हैं जो सोम और माही नदी के संगम में डुबकी लगाते हैं। तांत्रिक गणेश, हिरन की खाल पहनी हुई ब्राह्मी, वीणा पकडे हुए शिव, पदमिदी, पदमपनी यक्ष, गरुड़ की सवारी करते हुए वैष्णवी, इसके अलावा वागल त्यौहार भी डुंगरपुर के लोकप्रिय उत्सवों में से एक है। इस त्यौहार में इस क्षेत्र के लोक नृत्य और संगीत का प्रदर्शन किया जाता है। लोकप्रिय हिंदू त्यौहार होली यहाँ आदिवासी नृत्य के द्वारा मनाया जाता है। दीपों का भारतीय त्यौहार दीवाली और बार ब्रज मेला जो ठीक दीवाली के बाद मनाया जाता है इस क्षेत्र के अन्य प्रमुख त्यौहार हैं।
वास्तु चमत्कार – पत्थर पर चित्रण!
आकर्षक खिलौनों, त्यौहारों और वन्य जीवन के अलावा डुंगरपुर अपने राजसी महलों, प्राचीन मंदिरों, संग्रहालयों और झीलों के लिए प्रसिद्द है। उदय बिलास महल अपनी वास्तुकला की राजपूताना शैली के लिए प्रसिद्द है। इस भव्य महल को तीन भागों में बाँटा गया है जिन्हें रनिवास, उदय बिलास और कृष्ण प्रकाश या एक थम्बिया महल कहा जाता है।
अपनी जटिल कारीगरी वाली बालकनियों (छज्जों), मेहराबों और खिड़कियों के लिए जाना जाने वाला यह महल अब एक विरासत होटल है। पर्यटक जूना महल भी देख सकते हैं जो अपने दर्पण और ग्लास वर्क के लिए प्रसिद्द है। बादल महल डुंगरपुर का एक अन्य शानदार महल है। यह महल गैब सागर झील के किनारे स्थित है जो अपने जटिल डिज़ाइन और राजपूत और मुग़ल शैली के सम्मिश्रण वाली वास्तुकला की शैली के लिए जाना जाता है।
डुंगरपुर अपने कई हिंदू और जैन मंदिरों के लिए जाना जाता है। इस गंतव्य में रहते हुए पर्यटक बनेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर, सुरपुर मंदिर, देव सोमनाथ मंदिर, विजय राजराजेश्वर मंदिर और श्रीनाथजी मंदिर का भ्रमण कर सकते हैं। गैब सागर झील के किनारे अनेक महल और मंदिर होने के कारण यह पर्यटन का एक प्रमुख आकर्षण है। वे पर्यटक जो डुंगरपुर की यात्रा की योजना बना रहे हैं वे राजमाता देवेंद्र कुँवर गवर्मेंट म्यूज़ियम (सरकारी संग्रहालय), नागफनजी, गलियाकोट और फतेहगढी की सैर भी कर सकते हैं।
डुंगरपुर पहुँचना
डुंगरपुर जिले तक वायुमार्ग, रेलमार्ग और रास्ते से आसानी से पहुँचा जा सकता है। उदयपुर का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा या डबोक हवाई अड्डा डुंगरपुर का निकटतम हवाई अड्डा है। विदेशी पर्यटक नई दिल्ली के इंदिरा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से पहुँच सकते हैं। मध्य प्रदेश में स्थित रतलाम स्टेशन डुंगरपुर का निकटतम रेलवे स्टेशन है। गंतव्य तक पहुँचने के लिए दोनों हवाई अड्डों या रेलवे स्टेशनों से किराये की टैक्सी की जा सकती है। उदयपुर या अन्य पड़ोसी शहरों से यात्री बस द्वारा भी यहाँ पहुँच सकते हैं।
डुंगरपुर में पूरे वर्ष मौसम गर्म और सूखा होता है। डुंगरपुर में छुट्टियाँ मनाने के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर और नवंबर के बीच का है क्योंकि इस समय मौसम खुशनुमा होता है।