गौस मोहम्मद 15 वीं शताब्दी के सूफ़ी संत थे। वे एक अफगानी राजकुमार थे जो बाद में सूफी बन गए। वे संगीतकार तानसेन के गुरु थे। वे राजा बाबर के सलाहकार थे। गौस मोहम्मद की कब्र मध्यकालीन मुग़ल वास्तुकला का उत्तम उदहारण है।यह कब्र अपनी वास्तुकला की सुंदरता और पत्थर की नक्काशियों के कारण बहुत सुंदर दिखती है।
गौस मुहम्मद सत्ता में कभी किसी पद पर नहीं रहा फिर भी मुग़ल शासकों जिनमें अकबर भी शामिल था, ने कई वर्षों के प्रयासों से उसकी याद में एक शानदार कब्र बनाई। यह विभिन्न शासकों में उसकी प्रतिष्ठित स्थिति को दर्शाता है। पास ही तानसेन की कब्र या तानसेन का स्मारक भी स्थित है।