गौस मोहम्मद 15 वीं शताब्दी के सूफ़ी संत थे। वे एक अफगानी राजकुमार थे जो बाद में सूफी बन गए। वे संगीतकार तानसेन के गुरु थे। वे राजा बाबर के सलाहकार थे। गौस मोहम्मद की कब्र मध्यकालीन मुग़ल वास्तुकला का उत्तम उदहारण है।यह कब्र अपनी वास्तुकला की सुंदरता और पत्थर की...
दरगाह ख्वाजा क़ानून साहिब एक दरगाह है जिसका निर्माण ख्वाजा क़ानून साहिब की याद में किया गया था। साहिब मारवाड़ से आये थे और उनकी मृत्यु ग्वालियर में हुई। स्थानीय परंपरा के अनुसार 40 दिन इस दरगाह के दर्शन करने से आपकी इच्छाएं पूरी होती हैं।
विश्वास रखने वाले...
सूरज कुंड एक सुंदर तालाब है जो ग्वालियर किले के पास स्थित है। इसे 8 वीं शताब्दी के राजा सूरज सेन की लोक कथाओं के कारण महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ है। कहानी के अनुसार राजा को कुष्ठ रोग हो गया था और सौभाग्य से वे किले के पास ग्वालिपा नाम के साधू से मिले।
...सिंधिया राजवंश की छतरियां ग्वालियर के बाहरी भाग में स्थित हैं। जीवाजी राव सिंधिया, दौलत राव सिंधिया और जनकोजी राव सिंधिया की छतरियां महत्वपूर्ण स्मारक हैं। मुगलों के बाद मराठा राजवंश के सिंधिया शासकों ने ग्वालियर पर शासन किया। सिंधिया की छतरियां शिवा पुरी में हैं।...
कला वीथिका एक संग्रहालय है जहाँ भारत के कई महान संगीतकारों के वाद्य यंत्र और निजी वस्तुएं सुरक्षित रखी हुई हैं। यहाँ भित्ति चित्रों के कई टुकड़े संरक्षित रखे गए हैं। ग्वालियर वह स्थान है जहाँ ग्वालियर घराने का उद्भव हुआ। यह वह स्थान है जहाँ कई महान संगीतकारों ने...
सास बहु मंदिर ग्वालियर किले के पूर्वी ओर है। विडंबना यह है कि जैसा नाम से ज्ञात होता है कि यह मंदिर सास और बहु का नहीं है। यह नाम सहस्त्रबाहु नाम से निकला है जो भगवान विष्णु का दूसरा नाम है। इसके दरवाज़े पर भगवान ब्रम्हा, भगवान विष्णु और देवी की नक्काशियां की हुई...
सिंधिया संग्रहालय जिसे जीवाजी राव सिंधिया संग्रहालय भी कहा जाता है, जय विलास महल के अंदर स्थित है। इसका नाम जीवाजी राव सिंधिया के नाम पर पड़ा जो इस राजवंश के प्रगतिशील शासक थे। यह संग्रहालय एक ट्रस्ट द्वारा 1964 में प्रारंभ किया गया जहाँ सिंधिया वंश के बचे हुए...
भारत का शानदार और भव्य स्मारक, ग्वालियर का किला ग्वालियर के केंद्र में स्थित है। पहाडी की चोटी पर स्थित इस स्थान से घाटी और शहर का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। पहाड़ी की ओर जाने वाले वक्र रास्ते की चट्टानों पर जैन तीर्थंकरों की सुंदर नक्काशियां देखी जा सकती हैं।...
देव खो वह स्थान है जहाँ प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक सुंदरता है। यह जंगली जानवरों और पक्षियों की कई प्रजातियों का आवास है। अत: यह वह स्थान है जहाँ प्राणी और पक्षी प्रेमी नियमित रूप से जाते हैं। इसके अलावा देव खो प्राचीन शिव मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है जो एक सुंदर...
रानी लक्ष्मीबाई की समाधि फूल बाग़ में स्थित है। इसका निर्माण महान योद्धा झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की स्मृति में करवाया गया है। रानी लक्ष्मीबाई जिन्हें झांसी की रानी के नाम से भी जाना जाता है, ने 1857 में भारतीय क्रांति में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध किया था।
...सूर्य मंदिर या सन टेंपल भगवान सूर्य का मंदिर है। यह पूजा का स्थान है। यह एक नया बना हुआ मंदिर है जिसने बहुत कम समय में अनेक लोगों को अपनी और आकर्षित किया है। यह उडीसा के सूर्य मंदिर की तर्ज़ पर बनाया गया है। यह लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना है जिसकी वास्तुकला...
फूल बाग़ एक सुंदर उद्यान है जो ग्वालियर रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। इसका निर्माण तत्कालीन मराठा शासक माधव राव शिंदे ने करवाया था और इसका उद्घाटन वेल्स के राजकुमार द्वारा 1922 में उनकी भारत यात्रा के दौरान किया गया। फूल बाग़ के परिसर में ग्वालियर ज़ू, संग्रहालय और...
मान मंदिर महल ऐतिहासिक महत्व का स्थान है। इससे कई हृदय स्पर्शी कहानियाँ भी जुडी हुई हैं। यह हिंदू वास्तुकला के साथ मिश्रित मध्ययुगीन वास्तुकला का अच्छा उदाहरण है। इस संरचना में चार मंजिलें हैं जिसमें से दो मंजिलें भूमिगत हैं।
इसका आकार गोलाकार है। इसका...
गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ 6 वें सिख गुरु हरगोबिंद साहिब का स्मारक है। इतिहास के अनुसार राजा जहाँगीर ने गुरु गोबिंद साहिब को ग्वालियर के किले में बंदी बनाया था। उन्हें लगभग दो साल तक कैद में रखा गया। उन्हें उनकी सैन्य गतिविधियों के लिए कैद किया गया था।
जब...
ग्वालियर में स्थित गुजरी महल भारत के प्रसिद्ध पुरातात्विक संग्रहालयों में से एक है। यह इमारत वास्तविक रूप से एक महल थी जिसका निर्माण राजा मान सिंह ने अपनी पत्नी मृगनयनी के लिए करवाया था जो एक गूजर थी। अत: इस महल का नाम गुजरी महल पड़ा। वर्ष 1922 में पुरातात्विक...