पोलो ग्राउंड दुनिया में सबसे पुराना पोलो मैदान है। यद्यपि अंग्रेजों द्वारा लोकप्रिय हुआ पोलो मणिपुर में उत्पन्न हुआ था, जहां घोड़े की पीठ पर बैठकर खिलाड़ियों को गोल्स करने होते थे। यह खेल टीम में खेला जाता है। मणिपुर में 'कंजई-बाज़ी', 'सागोल कान्ग्जे', या 'पुलु' खेल था, आज अंग्रेजी शब्द, पोलो के रूप में जाना जाता है।
इम्फाल में पोलो ग्राउंड के सन्दर्भ लगभग 33 ई. में शाही इतिवृत्त चेइथारोल कुमबबा में लिखित में पाये जा सकते हैं। खेल की कई महत्वपूर्ण हस्तियां और खिलाड़ी पोलो मैदान में खेलने के लिए इम्फाल आते थे। आधुनिक पोलो के पिता, लेफ्टिनेंट शेरेर 1850 के दशक में इस मैदान पर आये थे। भारत के वायसराय रह चुके लॉर्ड कर्जन भी 1901 में मैदान आये थे।
तब से आज तक, हर साल पोलो मैदान में खेल खेला जाता है। मैदान के आसपास के क्षेत्र में स्थित इम्फाल पोलो राइडिंग क्लब, नियमित रूप से खेल की कोचिंग देता है।