यक्ष और यक्षिणी देवी एवं देवता हैं। इनका जैन धर्म में विशेष स्थान है। जैन धर्म के अनुसार, इन्हें स्वर्ग के देवता इंद्र ने जैन तीर्थंकरों की रक्षा करने के लिए नियुक्त किया है। इसलिए यक्षिणीयों को सुरक्षा करने वाले देवता भी कहा जाता है। जैन चित्रों या मूर्तियों में उन्हें हमेशा इस तरह दिखाया गया है कि जिन के बाईं ओर यक्षिणी और दाहिनी ओर यक्ष होते हैं।
जैन धर्म के अनुसार जिन भी मानव हैं और एक सामान्य मानव की तरह इनसे भी गलतियाँ हो सकती है। जिन के साथ रहने वाले यक्ष और यक्षिणी इन्हें हमेशा इनके कर्तव्यों और लक्ष्य की याद दिलाते रहते हैं।
यक्षिणी महाग्रही को समर्पित एक मंदिर द्खनिखेडा गाँव में स्थित है, जो जींद से 8 किमी दूर स्थित है। यह मंदिर मुन्जावत के पास है। उपवास के साथ इस मंदिर में स्नान करने पर देवी संतुष्ट हो जाती हैं और अपने भक्तों को पापों से मुक्त कर पवित्र कर देती हैं। ये अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण करती हैं।